Punjab crisis : नाराज चल रहे G-23 नेताओं की मांगें मानेगी कांग्रेस, जल्द बुलाएगी CWC की बैठक

Webdunia
शुक्रवार, 1 अक्टूबर 2021 (00:48 IST)
नई दिल्ली। कांग्रेस ने अपने वरिष्ठ नेताओं गुलाम नबी आजाद और कपिल सिब्बल द्वारा कांग्रेस कार्यसमिति (CWC) की तत्काल बैठक बुलाने की मांग किए जाने के एक दिन बाद कहा कि सीडब्लयूसी की बैठक बहुत जल्द बुलाई जाएगी। पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने पिछले सप्ताह संकेत दिया था कि सीडब्ल्यूसी की बैठक बहुत जल्द बुलाई जाएगी। सीडब्ल्यूसी कांग्रेस की निर्णय लेने वाली सर्वोच्च इकाई है।

उन्होंने कि शिमला जाने से पहले कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने संकेत दिया था कि सीडब्ल्यूसी की बैठक जल्द बुलाई जाएगी। इसी के मुताबिक, आने वाले दिनों में सीडब्ल्यूसी की बैठक होगी। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी को पत्र लिखकर आग्रह किया है कि पार्टी से जुड़े मामलों पर चर्चा के लिए कांग्रेस कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) की तत्काल बैठक बुलाई जाए।

सूत्रों के अनुसार, राज्यसभा में पूर्व नेता प्रतिपक्ष आजाद ने पत्र में कहा है कि पार्टी से कई नेताओं के अलग होने के मद्देनजर आंतरिक रूप से चर्चा की जाए। सिब्बल ने भी पार्टी की पंजाब इकाई में मचे घमासान और कांग्रेस की मौजूदा स्थिति को लेकर बुधवार को पार्टी नेतृत्व पर सवाल खड़े किए थे और कहा था कि कांग्रेस कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) की बैठक बुलाकर इस स्थिति पर चर्चा होनी चाहिए तथा संगठनात्मक चुनाव कराए जाने चाहिए।

आजाद और सिब्बल उन 23 प्रमुख नेताओं के समूह (ग्रुप 23) में शामिल हैं जिन्होंने पिछले वर्ष कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को पत्र लिखकर कांग्रेस में संगठन चुनाव करवाने की मांग की थी। इस समूह के एक नेता जितिन प्रसाद अब भाजपा में शामिल हो चुके हैं।

अध्यक्ष बने रह सकते हैं सिद्धू : नवजोत सिंह सिद्धू कांग्रेस की पंजाब इकाई के अध्यक्ष पद पर बने रह सकते हैं और पार्टी एक समन्वय समिति का गठन कर सकती है जिसके साथ पंजाब सरकार द्वारा भविष्य में लिए जाने वाले बड़े फैसलों पर विचार-विमर्श किए जाने की संभावना है। कांग्रेस नेता नवजोत सिंह सिद्धू द्वारा उठाए गए मुद्दों के समाधान को लेकर राज्य के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी और उनके बीच बृहस्पतिवार की शाम को दो घंटे तक चली बैठक के बाद इस नतीजे पर पहुंचा जा सका है।

सूत्रों ने बताया कि इस समिति में मुख्यमंत्री, सिद्धू और अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) का एक प्रतिनिधि शामिल हो सकता है। सूत्रों ने बताया कि एआईसीसी इस बाबत घोषणा कर सकती है। हालांकि, इस बारे में अब तक तस्वीर साफ नहीं हो सकी है कि डीजीपी और महाधिवक्ता की नियुक्ति को लेकर उभरे मतभेद से कैसे निपटा जाएगा?

गौरतलब है कि ‘दागदार’ अधिकारियों और मंत्रियों की नियुक्ति पर मतभेद को लेकर मंगलवार को सिद्धू ने कांग्रेस की पंजाब इकाई के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था। सिद्धू ने बुधवार को एक वीडियो जारी कर सार्वजनिक तौर पर अपना गुस्सा जाहिर किया था।

सूत्रों ने बताया कि चन्नी और सिद्धू के अलावा बैठक में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और केंद्रीय पर्यवेक्षक हरीश रावत, मंत्री परगट सिंह और पंजाब प्रदेश कांग्रेस कमेटी के कार्यकारी अध्यक्ष कुलजीत नागरा भी मौजूद रहे। पंजाब भवन में बैठक को लेकर फिलहाल कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं हुआ है। पंजाब भवन से चन्नी शाम करीब छह बजे जबकि सिद्धू उसके आधे घंटे बाद बाहर निकले।

पार्टी के किसी भी नेता ने बैठक में क्या हुआ इस पर मीडिया से बात नहीं की। इससे पहले आज दिन में सिद्धू मुख्यमंत्री चन्नी से मिलने के लिए पटियाला से चंडीगढ़ आए। चन्नी ने बुधवार को सिद्धू से बात करके समस्याओं को बातचीत के जरिए सुलझाने की पेशकश की थी।

चन्नी के साथ मुलाकात से पहले कांग्रेस नेता नवजोत सिंह सिद्धू ने गुरुवार को राज्य के नए पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) पर निशाना साधा और आरोप लगाया कि डीजीपी ने बेअदबी मामले में दो युवा सिखों को फंसा दिया और बादल परिवार के लोगों को क्लीन चिट दे दी।

चन्नी सरकार में वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी इकबाल प्रीत सिंह सहोता को पंजाब पुलिस के महानिदेशक का अतिरिक्त प्रभार दिया गया है। सहोता को प्रभार दिए जाने से नाराज सिद्धू ने कांग्रेस की पंजाब इकाई के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था। सहोता फरीदकोट में गुरु ग्रन्थ साहिब की बेअदबी की घटनाओं की जांच के लिए तत्कालीन अकाली सरकार द्वारा 2015 में गठित एक विशेष जांच दल के प्रमुख थे।

अमरिंदर ने दिए नई पारी की शुरुआत के संकेत : पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने गुरुवार को अपनी नई राजनीतिक पारी शुरू करने का स्पष्ट संकेत देते हुए कहा कि वह अब कांग्रेस में नहीं रहेंगे और पार्टी से इस्तीफा दे देंगे क्योंकि ऐसे दल में वह नहीं रह सकते जहां उन्हें अपमानित किया जाए और उन पर विश्वास न किया जाए। साथ ही, उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि वह भाजपा में शामिल नहीं होंगे। इस घोषणा के बाद पूर्व मुख्यमंत्री ने अपने ट्विटर हैंडल के परिचय से कांग्रेस का उल्लेख भी हटा दिया।

इस बीच, पार्टी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सुनील जाखड़ ने गुरुवार को कहा कि पंजाब के मुख्यमंत्री के अधिकार को बार-बार कम करने के प्रयासों को अब खत्म किया जाना चाहिए। उनकी यह टिप्पणी नवजोत सिंह सिद्धू की उस घोषणा के बाद आई है कि वह बातचीत के लिए यहां मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी से मुलाकात करेंगे। जाखड़ ने यह भी कहा कि राज्य के महाधिवक्ता और राज्य पुलिस प्रमुख के चयन पर लगाए जा रहे आक्षेप वास्तव में मुख्यमंत्री की ईमानदारी पर सवाल उठा रहे हैं।

जाखड़ ने ट्वीट किया, बहुत हो गया। मुख्यमंत्री के अधिकारों को बार-बार कमतर करने के प्रयासों को समाप्त करें। एजी और डीजीपी के चयन पर लगाए जा रहे आक्षेप मुख्यमंत्री और गृहमंत्री की ईमानदारी/ क्षमता पर सवाल उठाना है जिन्हें परिणाम देने के लिए लाया गया है। अब समय दृढ़तापूर्वक अपनी बात कहने और कठिन स्थिति को सुलझाने का है।

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