‘ब्लैक डेथ’ प्लेग से लेकर ‘स्पेनिश फ्लू’ तक और ‘कॉलेरा’ से लेकर ‘सार्स’ तक। दुनिया में कुछ सालों के अंतराल पर ऐसे ही नामों वाली महामारियों ने दस्तक दी है। जिसमें शहर के शहर और देश के देश खाली हो गए। चारों तरफ कुछ था तो सिर्फ चीख-पुकार, भय और मौतें। अब 2020 में कोरोना वायरस फैला है, जिसे डब्लूएचओ यानी वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन ने दुनिया में महामारी के तौर पर घोषित किया है। इसमें अब तक 3 हजार 816 लोगों को मौत के घाट उतार दिया है। आइए जानते हैं, दुनिया में अब तक फैली ऐसी 8 महामारियों के बारे में जिन्होंने लाख और करोड़ों की संख्या में मौतों का आंकड़ा दर्ज हुआ है।
‘ब्लैक डेथ’ प्लेग
साल 1347, महीना अक्टूबर
50 लाख मौतें
यूरोप आम दिनों की तरह ही खुशनुमा था। कुछ लोग सिसली बंदरगाह पर अपने प्रिय का इंतजार कर रहे थे। यहां कुछ व्यापारिक जहाज लौटकर यूरोप आ रहे थे। परिवार के सदस्य जहाजों के बंदरगाह पर एकत्र हो गए थे। लेकिन उन जहाजों से कोई उतरा नहीं। भीड़ में से जब किसी ने हिम्मत कर के जहाज के अंदर झांका तो नजारा भयावह था। लाशें ही लाशें। लाशों के बीच और नीचे कुछ अधमरे लोगों में आखिरी सांसों की हरकत थी। दरअसल, जहाज के कप्तान किसी तरह नाविकों को उनके घर तो ले आए थे लेकिन वे सब मुर्दा थे!
लाशों को दफनाने के लिए जमीनें खोदी गईं। लाशों को एक साथ बल्क में दफनाया जा रहा था। इसी बीच एक खबर आई कि शहर के कुछ लोग भी बीमार होकर मर रहे हैं। ये वो लोग थे, जो जहाज से उतरने वाले और अधमरे लोगों की सेवा कर रहे थे। फिर चारों तरफ लोशें थीं और चीख-पुकार। यह प्लेग था। जिसमें 50 लाख लोग मौत के उस पार जा चुके थे।
कॉलेरा का काल
साल 1820
1 लाख से ज्यादा मौतें
इस महामारी ने जापान, फारस के खाड़ी देश समेत भारत, बेंकाक, मनीला, जावा, ओमान, चीन, मॉरिशस और सिरिया में फैल गया था। इससे सिर्फ जावा में ही 1 लाख से ज्यादा लोगों की मौतें हो गई थी। सबसे ज्यादा मौतें थाइलैंड, इंडोनेशिया और फिलिपिन में हुईं थी।
‘स्पेनिश फ्लू’ (प्लेग) एक होलोकास्ट
साल 1918
5 करोड़ मौतें
दुनिया 1918 में प्रथम विश्व युद्ध से उबर रही थी। ठीक उसी वक्त ‘स्पेनिश फ्लू’ ने दस्तक दे डाली। प्रथम विश्व युद्ध में जितने लोग मारे गए, स्पेनिश फ्लू ने उससे दो गुना ज्यादा लोग मौत के घाट उतर गए। इस महामारी में करीब 5 करोड़ लोग मारे गए थे। यह मानव इतिहास की सबसे भीषण महामारियों में से एक थी।
स्पेनिश फ्लू पश्चिमी मोर्चे पर सैनिकों के तंग और भीड़ भरे ट्रेनिंग कैंपों में फैला। विशेष रूप से फ्रांस के साथ लगती सीमाओं पर स्थित खाइयों में प्रदूषित वातावरण ने इसके फैलने में मदद की। नवंबर 1918 में जब युद्ध समाप्त हुआ और सैनिक घर लौटने लगे तो वायरस उनके साथ आया। माना जाता है कि इसके प्रकोप के चलते 5 से 10 करोड़ लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी।
न्यूमोनिक प्लेग
जिसने बदल दी सूरत की सीरत
साल 1994
55 मौतें
1 सितंबर 1994 का दिन था। सूरत के स्वाथ्य विभाग को खबर आई कि यहां के एक अस्पताल में एक व्यक्ति की मौत हुई है और मृतक में न्यूमोनिक प्लेग के लक्षण लगते हैं। शाम होते होते खबर आई कि सूरत के वेड रोड रिहाइशी इलाक़े में 10 मौतें हुई हैं। साथ ही न्यूमोनिक प्लेग के लक्षणों के साथ 50 से ज्यादा मरीज अस्पतालों में भर्ती हुए हैं।
कुछ ही दिनों में 460 प्रकरण आ गए। लगभग 1061 मरीज़ इस महामारी से प्रभावित हुए। इस महामारी ने गुजरात ही नहीं, बल्कि देश और दुनिया तक को हिला दिया था। आलम यह था कि लोग सूरत छोड़कर भाग गए। करीब आधा शहर खाली हो चुका था। इससे दूसरे शहरों में भी संक्रमण शुरू हो गया। पूरे देश में प्लेग के 6334 संभावित मामले दर्ज़ किए गए। 55 लोगों की मौत हुई। देश के जांच केंद्रों में 288 लोगों में इसकी पुष्टि की गई।
इबोला
साल 2014
अफ्रीका से यूरोप तक
5 हजार से ज्यादा मौतें
पश्चिमी अफ्रीका से फैला इबोला पूरी दुनिया में फैल गया था। अफ्रीका से यूरोप तक और एशिया से लेकर अफ्रीका तक यह वायरस फैला था। इससे दुनियाभर में कई लोगों की मौत हुई थी, लेकिन असल में मौत का आंकडा 5 हजार से ज्यादा था। इबोला ने वायरस ने दरअसल चार पश्चिमी अफ्रीकी देशों को अपनी चपेट में लिया था। इबोला इंफेक्शन होने के बाद 90 फीसदी मामलों में मौत तय मानी गई थी।
सार्स
साल 2003
हजारों मौतें
साल 2003 में फैला सार्स यानी सिवियर एक्यूट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम की चपेट में दुनिया के कई देश आ गए थे। इससे चीन में 349हांगकांग 299, कनाडा में 43 ताइवान में 37 सिंगापुर में 33 वियतनाम में5 मलेशिया में 2 फ़िलीपीन्समें 2थाईलैंड में2 फ्रांस में1 और दक्षिण अफ्रीका 2 मौतें हो गई थी।
निपाह वायरस
साल 2018
17 मौतें
साल 2018 में निपाह वायरस से 17 जाने गई जिसमें 26 साल के मोहम्मद साबिथ पहला केस था। साल 2019 में 23 साल के एक छात्र पर निपाह वायरस से संक्रमित होने का मामला भी आ चुका है।
कोरोना वायरस
साल 2020
अब तक करीब 3 हजार 816 मौतें
चीन के वुहान शहर से पसरे कोरोना वायरस ने पूरी दुनिया को अपने कब्जें में ले लिया है। अब तक 3 हजार 816 लोग मारे जा चुके हैं। करीब 95 देशों में 80 से 90 हजार लोग इससे प्रभावित हुए है। भारत में 65 लोग इसके संक्रमण में है।
चमकी का प्रकोप साल 2019 बिहार
इसी तरह साल 2019 यानी पिछले साल बिहार में चमकी बुखार का प्रकोप फैला था। इस प्रकोप में 200 बच्चों की मौत हो गई थी, जबकि 615 से ज्यादा बच्चे बीमार या संक्रमित हो गए थे। चमकी को लेकर बिहार में भयावह स्थिति थी, हालात यह थे कि बिहार समेत पूरे देश में इसे लेकर दहशत थी, लेकिन न तो केंद्र सरकार और न ही राज्य सरकार ने इसे महामारी माना। दूसरी तरफ बीमारी के फैलते ही इसके टीकाकरण में भी कई घपले हुए थे। संसाधनों की कमी थी, न तो डॉक्टर और न ही पर्याप्त संख्या में नर्सें उपलब्ध थीं।