तमिलनाडु के वेल्लोर के चित्तूर में 3 जून 1949 में जन्मे राजा पहले दलित नेता हैं, जो पार्टी के महासचिव बने हैं। उनके नाम पर राष्ट्रीय परिषद ने मुहर लगा दी है। वे 1994 से पार्टी के राष्ट्रीय सचिव थे और वर्ष 2007 में राज्यसभा में चुनकर आए थे। वे 2 बार इस सदन के सदस्य रहे। उनका दूसरा कार्यकाल जुलाई में समाप्त हो रहा है।
राजा संसद और उसके बाहर प्रतिरोध के मुखर स्वर रहे हैं। दलितों, गरीबों और वंचितों के पक्ष में वे जोर-शोर से सवाल उठाते रहे हैं। उन्होंने बीएससी और बीएड किया है। उन्होंने दलित तथा बेरोजगारी पर किताबें भी लिखी हैं।