DDCA विवाद : आयोग की कार्यवाही का सीधा प्रसारण चाहते हैं सुब्रह्‍मण्यम

मंगलवार, 29 दिसंबर 2015 (11:01 IST)
नई दिल्ली। डीडीसीए में कथित अनियमितताओं की जांच के लिए दिल्ली सरकार द्वारा गठित जांच आयोग के अध्यक्ष पूर्व सॉलीसिटर जनरल गोपाल सुब्रह्मण्यम ने इसकी सुनवाई का सीधा प्रसारण करने की जोरदार वकालत की है ताकि इसे पारदर्शी बनाया जा सके।
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को भेजे गए पत्र में उन्होंने कहा, ‘मैं यह भी साफ करना चाहूंगा कि मैंने पहले ही सार्वजनिक जांच का वादा किया है। वह उपयुक्त स्थान पर होना चाहिए। मैं इसका टेलीविजन पर प्रसारण करने की पेशकश करना चाहता हूं ताकि दुनिया में कोई भी देख सके कि कैसे आयोग इस मामले से निपटने के लिए आगे बढ़ता है।’ 

उन्होंने कहा, ‘मैंने हमेशा माना है कि दुनिया के कई हिस्सों में जहां अदालत की कार्यवाही का टेलीविजन पर प्रसारण किया गया है, खासतौर पर ब्रिटेन और कनाडा में न्यायपालिका ने बिल्कुल पारदर्शी रहकर कुछ हासिल ही किया है।’ उन्होंने कहा, ‘मैं नहीं देखता हूं कि क्यों किसी मामले में जिसमें क्रिकेट शामिल है और खासतौर पर जिसका दीर्घकालिक प्रभाव है उससे उसी तरीके से क्यों नहीं निपटा जाना चाहिए।’ 
 
दिल्ली एवं जिला क्रिकेट एसोसिएशन (डीडीसीए) में कथित वित्तीय अनियमितताओं और गड़बड़ियों की जांच करने वाले आयोग की अध्यक्षता करने की पेशकश को औपचारिक तौर पर स्वीकार करते हुए सुब्रह्मण्यम ने कहा कि इसका गठन संविधान के प्रावधानों के अनुरूप है, भले ही उपराज्यपाल नजीब जंग ने इसपर आपत्ति जताई हो। 
 
सुब्रह्मण्यम ने कहा कि आयोग का गठन करने के लिए दिल्ली विधानसभा द्वारा प्रस्ताव पारित करने के मद्देनजर यह उचित है कि दिल्ली सरकार उसका गठन करे क्योंकि सदन ‘सभी व्यावहारिक उद्देश्यों के लिए राज्य विधायिका है।’ जाने-माने वकील ने आयोग के गठन पर जंग की आपत्तियों पर कोई भी सीधी टिप्पणी नहीं की लेकिन अपनी असहमति साफ तौर पर जाहिर कर दी। उन्होंने कहा कि आयोग का गठन नहीं करना संविधान के प्रासंगिक प्रावधानों के विपरीत होगा।
 
उन्होंने कहा, ‘किसी भी सूरत में, मैंने यह राय अपनाई है कि संविधान के अनुच्छेद 239 एए के स्पष्ट शब्दों और खासतौर पर विधानसभा के संविधान के अनुच्छेद 324 से 326 और अनुच्छेद 329 के उद्देश्यों के लिए राज्य की विधायिका माने-जाने को देखते हुए, मुझे कोई संदेह नहीं है कि यह सभी व्यावहारिक उद्देश्यों के लिए राज्य विधायिका है।’

वेबदुनिया पर पढ़ें