विपक्षी दलों ने कहा कि पहला आरोप प्रसाद एजुकेशनल ट्रस्ट से संबंधित है। इस मामले में संबंधित व्यक्तियों को गैरकानूनी लाभ दिया गया। इस मामले को प्रधान न्यायाधीश ने जिस तरह से देखा उसे लेकर सवाल है। यह रिकॉर्ड पर है कि सीबीआई ने प्राथमिकी दर्ज की है। इस मामले में बिचौलियों के बीच रिकॉर्ड की गई बातचीत का ब्योरा भी है।
दूसरा आरोप उस रिट याचिका को प्रधान न्यायाधीश द्वारा देखे जाने के प्रशासनिक और न्यायिक पहलू के संदर्भ में है, जो प्रसाद एजुकेशन ट्रस्ट के मामले में जांच की मांग करते हुए दायर की गई थी। कांग्रेस और दूसरे दलों का तीसरा आरोप भी इसी मामले से जुड़ा है।
उन्होंने प्रधान न्यायाधीश पर चौथा आरोप गलत हलफनामा देकर जमीन हासिल करने का लगाया है। प्रस्ताव में पार्टियों ने कहा कि न्यायमूर्ति मिश्रा ने वकील रहते हुए गलत हलफनामा देकर जमीन ली और 2012 में उच्चतम न्यायालय में न्यायाधीश बनने के बाद उन्होंने जमीन वापस की, जबकि उक्त जमीन का आवंटन वर्ष 1985 में ही रद्द कर दिया गया था।