यह संख्या ऊंट के मुंह में जीरे के समान है क्योंकि एक बंकर में 10 से अधिक लोग एक साथ नहीं आ सकते। हालांकि एलओसी के इलाकों में रहने वालों ने अपने खर्चों पर कुछ बंकरों का निर्माण किया है पर वे इतने मजबूत नहीं कहे जा सकते। इंटरनेशनल बॉर्डर के इलाके में बनाए जाने वाले आधे से अधिक बंकरों में अक्सर बारिश का पानी घुस जाता है।
अभी भी यही हुआ। पुलवामा हमले के बदले की खातिर सर्जिकल स्ट्राइक 2.0 हुई तो लोगों को दो दिन बंकरों से पानी निकालने में लग गए। पुंछ के झल्लास के रहने वाले आशिक हुसैन कहते हैं- ‘साहब बम तो जान लेगा ही, बंकर में घुसा हुआ पानी और उसमें अक्सर रेंगने वाले सांप-बिच्छू सबसे पहले जान लेंगें'।