Eye Flu : बारिश के मौसम में दिल्ली समेत देशभर के स्कूलों में पिछले 3 से 4 दिनों में आई फ्लू के मामलों में वृद्धि दर्ज की गई है। इसे कंजक्टिवाइटिस (Conjunctivitis) भी कहा जाता है। हालत यह हैं कि कुछ स्कूलों में संक्रमण के प्रसार को रोकने के लिए हर दिन कम से कम ऐसे 10 से 12 बच्चों को घर वापस भेज दिया जाता है, जिनमें लक्षण दिखाई दे रहे हैं।
दिल्ली में आंख में लालपन व अन्य संक्रमण के मामले बढ़ रहे हैं और कई चिकित्सकों ने यह चेतावनी दी है कि यह संक्रमण अत्यधिक संक्रामक हैं और इसके प्रसार को रोकने के लिए उचित स्वच्छता नियमों का पालन करने की आवश्यकता है।
बताया जा रहा है कि जो बच्चे आंखों के संक्रमण से पीड़ित हैं, उनमें से ज्यादातर चौथी से सातवीं कक्षा तक के हैं और वे तीन से चार दिनों के भीतर ठीक हो रहे हैं।
कई स्कूलों ने पैरेंट्स को मैसेज भेजकर कहा कि अगर उनके बच्चे की आंखों में संक्रमण हैं तो उन्हें संक्रमण पूरी तरह से ठीक नहीं होने तक स्कूल नहीं भेजा जाए।
क्या है कंजक्टिवाइटिस : बारिश के मौसम में विभिन्न संक्रमणों के साथ-साथ कंजक्टिवाइटिस यानि आंखों के संक्रमण का खतरा सबसे अधिक होता है। इस संक्रमण के होने पर आंखों में कुछ रेत की तरह चुभता है और आंखों में दर्द के साथ जलन भी होती है।
हालांकि कंजक्टिवाइटिस से दृष्टि को कभी कोई गंभीर क्षति नहीं पहुंचती, लेकिन जब तक यह संक्रमण ठीक नहीं होता मरीज को बेचैन किए रहता है। यह बीमारी बैक्टीरिया, वायरस अथवा ऐसे पदार्थों की एलर्जी से होती है जो आंखों में जलन पैदा करते हैं। यह सर्दी-जुकाम के लिए जिम्मेदार वायरस के कारण भी हो सकती है। इसमें कान का संक्रमण, सायनस का संक्रमण तथा गले की खराश के लिए जिम्मेदार वायरस भी शामिल हैं। धूल, धूप और धुएं किसी से भी कंजक्टिवाइटिस भड़क सकता है।
क्या है आई फ्लू के लक्षण : हर व्यक्ति में आई फ्लू के लक्षण अलग-अलग हो सकते हैं। आंखों में जलन और रेत कणों के अंदर होने का एहसास होना इसका सबसे आम लक्षण है। अंदरूनी पलकें और आंखों की किनोरें तक लाल सुर्ख हो जाती हैं। आंखों से लगातार पानी भी गिरता है। सुबह सोकर उठने पर दोनों पलकें आपस में चिपकी हुई मिल सकती हैं। कई लोगों की आंखें सूज जाती हैं और वे तेज रोशनी के प्रति संवेदनशील हो जाती हैं।
कैसे फैलता है संक्रमण : कंजक्टिवाइटिस का संक्रमण आपसी संपर्क के कारण फैलता है। इस रोग का वायरस संक्रमित मरीज के उपयोग की किसी भी वस्तु जैसे रूमाल, तौलिया, टॉयलेट की टोंटी, दरवाजे का हैंडल, टेलीफोन के रिसीवर से दूसरों तक पहुंचता है। कम्प्यूटर का की बोर्ड भी इसे फैलाने में सहायक होता है।
कैसे करें देखभाल : बैक्टीरिया से संक्रमण होने की आशंका में नेत्र रोग विशेषज्ञ एंटिबायोटिक ड्रॉप या मलहम लगाने की सलाह दे सकता है। बर्फ की सिंकाई और दर्द निवारक से भी कंजक्टिवाइटिस की जलन में राहत मिलती है। मरीज अपनी आंखों की किनोरों को हल्के गुनगुने पानी में भिगोए हुए रुई के फाहों से साफ कर सकते हैं। इससे पलकों को राहत मिलती है तथा वे चिपकती भी नहीं। रात को मलहम लगाकर सोने से पलकों के चिपकने की समस्या से भी छुटकारा मिल सकता है। संक्रमित होने पर नियमित धूप का चश्मा पहनें।
क्या न करें : केमिस्ट की सलाह पर कोई ड्रॉप न खरीदें। इनमें तेज स्टेरायड्स भी हो सकते हैं, जिनसे कोर्निया में गंभीर संक्रमण भी हो सकता है। इससे कोर्निया में अल्सर भी हो सकता है। आंखों को मसलें अथवा रगड़ें नहीं। संक्रमित व्यक्ति का तौलिया, रूमाल, धूप का चश्मा वगैरह का इस्तेमाल न करें। पीड़ित कहीं बाहर ना जाएं।