महाराष्ट्र में हिंदुत्व के नाम पर शिवसेना में हुई बगावत के बाद आखिरकार उद्धव सरकार की सत्ता से विदाई हो गई है। शिवसेना से बगावत करने वाले एकनाथ शिंदे ने खुद को बाला साहेब ठाकरे का पक्का शिव सैनिक बताते हुए उनके हिंदुत्व को आगे ले जाने की बात कह कर विद्रोह का जो बिगुल फूंका था वह मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के इस्तीफे पर आकर रूका।
महाराष्ट्र में हिंदुत्व के मुद्दे पर उद्धव सरकार की विदाई पर तंज कसते हुए मध्यप्रदेश के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि मेरा देश बदल रहा है। महाराष्ट्र देश का वह पहला राज्य है जहां पहली बार हिंदुत्व के नाम पर कोई सरकार गिरी है।
वहीं शिवसेना के प्रवक्ता संजय राउत के विधायकों के अगवा होने वाले बयान पर नरोत्तम मिश्रा ने तंज कसते हुए कहा कि शिवसेना के विधायक अगवा नहीं भगवा हो गए थे। यह हनुमान चालीसा का ही प्रभाव है कि चालीस दिन में शिवसेना के चालीस विधायक चले गए।
बाला साहेब ठाकरे के बाद शिवसेना की कमान उद्धव ठाकरे के हाथ में आने के बाद हिंदुत्व का मुद्दा लगातार गर्माता जा रहा है। 2019 का विधानसभा चुनाव भाजपा के साथ मिलकर लड़ने वाले उद्धव ठाकरे ने जब कांग्रेस और एनसीपी के साथ मिलकर सरकार बनाई तो सबसे पहले कठघरे में हिंदुत्व ही आया और भाजपा ने आरोप लगाया कि सत्ता और मुख्यमंत्री की कुर्सी के लिए उद्धव ठाकरे ने बाला साहेब ठाकरे के हिंदुत्व से समझौता कर लिया है।
2019 के विधानसभा चुनाव के बाद भाजपा हर मंच से उद्धव ठाकरे को घेरते हुए कह रही है कि कांग्रेस के साथ गठबंधन कर शिवसेना अब हिंदुत्व विचारधारा वाली पार्टी नहीं रही है। वहीं पिछले दिनों महाराष्ट्र में गर्माए हनुमान चालीसा के पाठ पर भी उद्धव ठाकरे पर हिंदुत्व की विचारधारा से समझौता करने का आरोप लगाया गया।
हिंदुत्व का चला आखिरी दांव- हिंदुत्व के मुद्दें पर चौतरफा घिरे उद्धव ठाकरे ने अपनी सरकार की आखिरी कैबिनेट की बैठक में हिंदुत्व का आखिरी दांव चला। शहरों का नाम बदलकर उद्धव ठाकरे ने दरअसल ये बताने की कोशिश है कि उन्होंने हिंदुत्व को नहीं छोड़ा है।
बतौर मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने अपनी आखिरी कैबिनेट की बैठक में औरंगाबाद शहर का नाम संभाजीनगर, उस्मानाबाद शहर का नाम धाराशिव और नवी मुंबई अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे का नाम बदलकर स्वर्गीय डीबी पाटिल अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी। शहरों का नाम बदलकर भले ही उद्धव ठाकरे ने यह बताने की कोशिश की हो कि उन्होंने हिंदुत्व का साथ नहीं छोड़ा है लेकिन उद्धव ने यह बताने में बहुत देर कर दी।