Naranbhai Rathwa joins Bjp: कांग्रेस को गुजरात में एक के बाद एक झटके लग रहे हैं। ताजा मामले में कांग्रेस के दिग्गज आदिवासी नेता और पूर्व सांसद नारणभाई राठवा लोकसभा चुनाव से ठीक पहले भाजपा में शामिल हो गए। राठवा के साथ कुछ और कांग्रेस के नेता भाजपा में शामिल हुए हैं। भाजपा में शामिल होने वाले नेताओं ने कांग्रेस पर गंभीर आरोप लगाए हैं। राठवा ने अपने इस्तीफा कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे को भेजा दिया है।
कांग्रेस के आदिवासी वोट बैंक में लगेगी सेंध : कांग्रेस के राज्यसभा सांसद के रूप में नारण राठवा का कार्यकाल कुछ दिन पहले ही पूरा हुआ है। छोटा उदेपुर में नारण राठवा और संग्राम राठवा द्वारा कांग्रेस छोड़ बीजेपी का दामन थामने से इस इलाके में कांग्रेस को बड़ा झटका माना जा रहा है।
माना जा रहा है कि इस इलाके में कांग्रेस का पूरी तरह सफाया हो जाएगा। फिलहाल छोटा उदेपुर जिले में सुखराम राठवा और अर्जुन राठवा ही कांग्रेस के नेता हैं। नारण राठवा अपने समर्थकों के साथ बीजेपी में शामिल हो गए। इससे कांग्रेस के मजबूत आदिवासी वोट बैंक में बड़ी दरार पैदा होगी।
पहली बार जनता दल से सांसद बने राठवा : छोटा उदेपुर जिले की राठवा जनजाति एक मजबूत आदिवासी वोट बैंक है। इसलिए नारण राठवा के भाजपा में आने से बीजेपी को आदिवासी इलाके में बड़ा फायदा मिल सकता है।
नारण राठवा ने 1990 में जनता दल से जुड़कर राजनीति की शुरुआत की और वीपी सिंह सरकार में पहली बार नारण राठवा कांग्रेस सांसद अमर सिंह राठवा को हराकर सांसद बने थे।
मनमोहन सरकार में बने मंत्री : राठवा ने 1995 में कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में भाजपा के भीखूभाई राठवा को हराया। हालांकि 1999 में मध्यावधि चुनाव में वह भाजपा के रामसिंह राठवा से हार गए। 2004 में तीसरी बार सांसद चुने जाने पर उन्हें मनमोहन सिंह सरकार में रेल राज्यमंत्री बनाया गया।
2009 और 2014 में वह रामसिंह राठवा से चुनाव हार गए। नारण राठवा कांग्रेस के अहमद पटेल के काफी करीबी माने जाते थे और इसका फायदा उन्हें साल 2018 में मिला और वे राज्यसभा सांसद चुने गए।