अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट के बीच सरकार ने सोमवार को पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क दो-दो रुपए प्रति लीटर बढ़ा दिया। हालांकि पेट्रोल और डीजल की खुदरा कीमतों पर इस फैसले का कोई असर नहीं पड़ेगा। इसकी वजह यह है कि कच्चे तेल की अंतरराष्ट्रीय कीमतों में हाल के दिनों में आई बड़ी गिरावट से पेट्रोलियम कंपनियों को होने वाला लाभ उत्पाद शुल्क में बढ़ोतरी की भरपाई कर देगा। पेट्रोलियम कंपनियों ने उत्पाद शुल्क बढ़ने के बावजूद खुदरा कीमतें स्थिर रहने की बात कही है। पेट्रोल पर उत्पाद शुल्क को बढ़ाकर 13 रुपए प्रति लीटर और डीजल पर 10 रुपए प्रति लीटर कर दिया गया है। शुल्क वृद्धि 8 अप्रैल, 2025 से लागू होगी।
एक आधिकारिक आदेश में यह जानकारी दी गई। हालांकि पेट्रोल और डीजल की खुदरा कीमतों पर इस फैसले का कोई असर नहीं पड़ेगा। पेट्रोलियम कंपनियों ने उत्पाद शुल्क बढ़ने के बावजूद खुदरा कीमतें स्थिर रहने की बात कही है। सरकारी आदेश के मुताबिक, पेट्रोल पर उत्पाद शुल्क को बढ़ाकर 13 रुपए प्रति लीटर और डीजल पर 10 रुपए प्रति लीटर कर दिया गया है। शुल्क वृद्धि 8 अप्रैल, 2025 से लागू होगी।
हालांकि करों में किसी भी बदलाव का असर आमतौर पर उपभोक्ताओं तक पहुंचता है लेकिन उत्पाद शुल्क वृद्धि का असर पेट्रोल और डीजल के खुदरा बिक्री मूल्य पर नहीं पड़ेगा। इसकी वजह यह है कि कच्चे तेल की अंतरराष्ट्रीय कीमतों में हाल के दिनों में आई बड़ी गिरावट से पेट्रोलियम कंपनियों को होने वाला लाभ उत्पाद शुल्क में बढ़ोतरी की भरपाई कर देगा।
अमेरिका और चीन के बीच व्यापार युद्ध छिड़ने से कच्चे तेल की कीमतें अप्रैल, 2021 के बाद के सबसे निचले स्तर पर आ गई हैं। दरअसल, बढ़ते व्यापार तनाव ने मंदी आने और कच्चे तेल की मांग घटने की आशंकाओं को बढ़ा दिया है। सोमवार को ब्रेंट क्रूड वायदा 2.43 डॉलर यानी 3.7 प्रतिशत गिरकर 63.15 डॉलर प्रति बैरल पर आ गया जबकि यूएस वेस्ट टेक्सस इंटरमीडिएट क्रूड वायदा 2.42 डॉलर यानी 3.9 प्रतिशत गिरकर 59.57 डॉलर के भाव पर आ गया।
भारत के लिए कच्चे तेल की कीमतें काफी मायने रखती हैं। इसकी वजह यह है कि भारत अपनी 85 प्रतिशत कच्चे तेल की जरूरतों को आयात से ही पूरा करता है। पेट्रोलियम मंत्रालय ने सोशल मीडिया मंच एक्स पर पोस्ट में कहा, सार्वजनिक क्षेत्र की पेट्रोलियम विपणन कंपनियों ने सूचित किया है कि उत्पाद शुल्क दरों में की गई वृद्धि के बाद पेट्रोल और डीजल की खुदरा कीमतों में कोई वृद्धि नहीं होगी।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अगुवाई वाली सरकार ने 11 साल के अपने शासन में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल की कीमतें गिरने की स्थिति में उत्पाद शुल्क में वृद्धि की है। नवंबर, 2014 से जनवरी, 2016 के बीच सरकार ने वैश्विक तेल कीमतों में गिरावट से होने वाले लाभ को कम करने के लिए नौ मौकों पर पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क बढ़ाया था। उन 15 महीनों में पेट्रोल पर 11.77 रुपए प्रति लीटर और डीजल पर 13.47 रुपए प्रति लीटर की वृद्धि की गई थी।
इससे सरकार का उत्पाद शुल्क संग्रह 2014-15 में 99,000 करोड़ रुपए से दोगुने से अधिक बढ़कर 2016-17 में 2,42,000 करोड़ रुपए हो गया। सरकार ने अक्टूबर, 2017 में भी उत्पाद शुल्क में दो रुपए और एक साल बाद 1.50 रुपए की कटौती की थी। लेकिन जुलाई, 2019 में इसने उत्पाद शुल्क में दो रुपए प्रति लीटर की बढ़ोतरी की। इसने मार्च, 2020 में फिर से उत्पाद शुल्क में तीन रुपए प्रति लीटर की बढ़ोतरी की।
मार्च, 2020 से मई, 2020 के बीच पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क में कुल 13 रुपए और 16 रुपए प्रति लीटर की बढ़ोतरी की गई थी। लेकिन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल की कीमतों में उछाल आने पर सरकार ने उत्पाद शुल्क में पेट्रोल और डीजल में क्रमशः 13 रुपए और 16 रुपए प्रति लीटर की वृद्धि को वापस ले लिया।
इससे दिल्ली में पेट्रोल की कीमत को 105.41 रुपए प्रति लीटर और डीजल को 96.67 रुपए प्रति लीटर के रिकॉर्ड उच्च स्तर से नीचे लाने में मदद मिली। पिछले साल आम चुनावों की घोषणा से ठीक पहले सरकार ने पेट्रोल और डीजल की कीमतों में दो रुपए प्रति लीटर की कटौती की थी। फिलहाल दिल्ली में पेट्रोल की कीमत 94.77 रुपए और डीजल की कीमत 87.67 रुपए प्रति लीटर है। (भाषा)
Edited By : Chetan Gour