गुजरात चुनाव : विकास पड़ेगा भारी या होगी जातिवाद की जीत

नृपेंद्र गुप्ता
शुक्रवार, 27 अक्टूबर 2017 (09:41 IST)
अहमदाबाद। गुजरात में चुनाव के लिए भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दलों ने कमर कस ली है। साम, दाम, दंड, भेद की नीति से लड़े जा रहे इस चुनाव को भाजपा हर हाल में जीतना चाहती है तो कांग्रेस भी इसे मजबूत विपक्षी दल के रूप में उभरने का सुनहरा अवसर मान रही है।
 
नरेन्द्र मोदी ने चुनावों की घोषणा से पहले ताबड़तोड़ दौरे कर कई विकास योजनाओं का शिलान्यास किया है तो हार्दिक पटेल, अल्पेश ठाकोर, जिग्नेश मेवाणी आदि नेताओं ने भी इस बार अपनी शक्ति दिखाने की तैयारी कर ली है।
 
वैसे तो गुजरात मॉडल के दम पर ही नरेन्द्र मोदी दिल्ली की सत्ता तक पहुंचे थे। लेकिन जातिवाद की राजनीति मानो उनके गृहराज्य में विकास को कड़ी चुनौती देती दिखाई दे रही है। यहां जहां एक ओर विकास की बात हो रही है तो दूसरी तरफ नोटबंदी और जीएसटी पर भी जमकर तकरार चल रही है। जातियों पर पकड़ साबित करने की होड़ दिखाई दे रही है तो दोनों ही दलों में सेंध लगाने का खेल भी हो रहा है।
 
पटेल-पाटीदार नेता हार्दिक पटेल और ओबीसी नेता अल्पेश ठाकोर भी राजनीति के इस खेल में उलझ गए हैं। दोनों ही दिग्गजों की ताकत यहां कम होती दिखाई दे रही है। यह सब महाभारत का युद्ध-सा प्रतीत हो रहा है जिसमें एक ओर सेनापति था, तो दूसरी ओर सेना।
 
हार्दिक के करीबी वरुण पटेल और रेशमा ने उनसे दूरी बना ली है, तो अल्पेश की टीम भी बिखरी-बिखरी-सी है। यहां धनबल के आरोप लग रहे हैं और तोड़-फोड़ का भी कोई मौका नहीं छोड़ा जा रहा है। हाल ही में राजस्थान विधानसभा में गुर्जरों समेत 5 जातियों को आरक्षण देकर भाजपा ने यहां भी आरक्षण की मांग कर रहीं कई जातियों पर डोरे डालने का प्रयास किया है।
 
बहरहाल, चुनाव के नतीजे कुछ भी हों, पर सवाल यह उठ रहा है कि इस चुनाव में विकास पड़ेगा भारी या जीतेगा जातिवाद। विकास जीता तो इससे देश तरक्की के रास्ते पर बढ़ेगा और जातिवाद जीता तो देश में एक बार फिर आरक्षण की आग भड़क सकती है।

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