मुख्य न्यायाधीश टीएस शिवज्ञानम ने पश्चिम बंगाल सरकार की तरफ से पेश वकील से यह सवाल तब पूछा, जब उन्होंने दावा किया कि अप्राकृतिक मौत का मामला दर्ज किया गया है, क्योंकि हत्या की तत्काल कोई शिकायत नहीं मिली थी। न्यायमूर्ति शिवज्ञानम की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने कहा कि स्नातकोत्तर प्रशिक्षु चिकित्सक का शव सड़क किनारे नहीं मिला था और अस्पताल के अधीक्षक या प्राचार्य शिकायत दर्ज करा सकते थे।
महिला चिकित्सक के माता-पिता ने अदालत की निगरानी में मामले की जांच के अनुरोध के साथ उच्च न्यायालय का रुख किया था। उच्च न्यायालय में कुछ जनहित याचिकाएं भी दाखिल की गई हैं, जिनमें मामले की जांच केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) से कराने का अनुरोध किया गया है। याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश शिवज्ञानम और न्यायमूर्ति हिरण्मय भट्टाचार्य की खंडपीठ ने कहा कि जांच में कुछ कमी है।
ट्रेनी डॉक्टर का गुस्सा जायज : उच्च न्यायालय ने घोष के वकील से कहा कि वह अपने मुवक्किल से अपराह्न तीन बजे तक लंबे अवकाश पर जाने के लिए कहें, वरना वह उचित आदेश पारित करेगा। मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि हत्या इतनी वीभत्स थी कि चिकित्सकों और प्रशिक्षुओं का गुस्सा एवं पीड़ा जाहिर करना उचित है। पूरे पश्चिम बंगाल में जूनियर डॉक्टर और प्रशिक्षुओं ने घटना के विरोध में तथा अस्पताल के कर्मचारियों को पर्याप्त सुरक्षा उपलब्ध कराने की मांग को लेकर मंगलवार को भी काम बंद रखा।
आंदोलनकारियों से बात करे सरकार : उच्च न्यायालय ने कहा कि राज्य सरकार को आंदोलनकारी चिकित्सकों से बातचीत करनी चाहिए। इस बीच, राज्य सरकार के वकील ने दावा किया कि कोलकाता पुलिस मामले की पारदर्शी तरीके से जांच कर रही है। अदालत द्वारा राज्य सरकार से पूछे जाने पर कि वह यह कैसे सुनिश्चित करेगी कि सबूत नष्ट न हों, जैसा कि याचिकाकर्ताओं के कुछ वकीलों ने आरोप लगाया है, सरकारी वकील ने कहा कि कोलकाता पुलिस के एक अतिरिक्त आयुक्त की देखरेख में पुलिस उपायुक्त (डीसीपी) रैंक के एक अधिकारी जांच की कमान संभाल रहे हैं। पीठ के निर्देश पर पश्चिम बंगाल सरकार ने दोपहर एक बजे केस डायरी पेश की। (एजेंसी/भाषा)