History of no confidence motion: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार के खिलाफ संयुक्त विपक्ष द्वारा लाया गया अविश्वास प्रस्ताव चर्चा में है। हालांकि इस प्रस्ताव से सरकार को कोई खतरा नहीं है, लेकिन लोकसभा चुनाव से पहले इस प्रस्ताव के जरिए होने वाली चर्चा के माध्यम से विपक्ष अपनी बात मतदाताओं तक पहुंचा जा सकता है। अविश्वास प्रस्ताव लोकसभा की तरह राज्य विधानसभाओं में भी लाया जाता है। आइए जानते हैं कब-कब और कितनी बार लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव लाया गया...
भारत में पहली बार अविश्वास प्रस्ताव 1963 में तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू के खिलाफ लाया गया था। यह प्रस्ताव आचार्य कृपलानी लेकर आए थे। तब प्रस्ताव के पक्ष में केवल 62 एवं विरोध में 347 मत पड़े थे। अर्थात अविश्वास प्रस्ताव बड़े अंतर से गिर गया था।
लाल बहादुर शास्त्री को भी 3 बार अविश्वास प्रस्ताव का सामना करना पड़ा, लेकिन हर बार विपक्ष को मुंह की खानी पड़ी। पहली बार 2 सितंबर 1964, फिर मार्च 1965 और तीसरी बार अगस्त 1965 में शास्त्री के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया गया।इंदिरा गांधी के खिलाफ सबसे ज्यादा 15 बार अविश्वास प्रस्ताव लाया गया था। पहली अगस्त 1966 में सीपीआई के सांसद हिरेंद्रनाथ मुखर्जी अविश्वास प्रस्ताव लेकर आए थे। इसके बाद उनके खिलाफ नवंबर 1966, नवंबर 1967, फरवरी 1968, नवंबर 1968, फरवरी 1969, जुलाई 1970, नवंबर 1973, मई 1974, मई 1975, मई 1981, सितंबर 1981 और अगस्त 1982 में भी श्रीमती गांधी के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया गया। लेकिन, विपक्ष को इसमें सफलता नहीं मिली। हर बार प्रस्ताव गिर गया।
तत्कालीन प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई के खिलाप 1979 में अविश्वास प्रस्ताव लाया गया। उन्होंने इसका सामने किए बिना अपने पद से इस्तीफा दे दिया था।
दिसंबर 1987 में राजीव गांधी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया गया था।
जुलाई 1992 में पीवी नरसिम्हा राव के खिलाफ भाजपा नेता जसवंत सिंह अविश्वास प्रस्ताव लेकर आए। प्रस्ताव के पक्ष में 225 वोट पड़े, जबकि विरोध में 271 वोट पड़े। अर्थात यह प्रस्ताव भी गिर गया।
दिसंबर 1992 में राव के खिलाफ अटल विहारी वाजपेयी अविश्वास प्रस्ताव लाए थे, लेकिन 21 घंटे की बहस के बाद यह प्रस्ताव गिर गया।
पीवी नरसिम्हा राव को जुलाई 1993 में भी अविश्वास प्रस्ताव का सामना करना पड़ा, लेकिन विपक्ष को शिकस्त मिली।
कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी अटल विहारी वाजपेयी के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लेकर आईं, लेकिन बड़े अंतर से यह प्रस्ताव गिर गया। इसके समर्थन में 189 सांसदों ने वोट डाला जबकि विरोध में 314 मत पड़े।
मनमोहन सिंह को 10 साल के कार्यकाल में एक बार भी अविश्वास प्रस्ताव का सामना नहीं करना पड़ा।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार को 20 जुलाई 2018 को अविश्वास प्रस्ताव का सामना करना पड़ा।
मोदी सरकार को 2023 में दूसरी बार अविश्वास प्रस्ताव का सामना करना पड़ सकता है। विपक्ष ने इसको लेकर नोटिस दिया है, जिसे लोकसभा अध्यक्ष ने स्वीकार कर लिया है।