कर्नाटक-गोवा क्षेत्र के आयकर विभाग के प्रधान मुख्य आयुक्त बीआर बालाकृष्णन ने पत्रकारों को बताया कि इसका अध्ययन करने के बाद हमारा निष्कर्ष है कि यह एक जाली दस्तावेज हैं। ये चंद पन्ने हैं। कुछ अन्य जांचों को प्रभावित करने के लिए डायरी का उपयोग करने का प्रयास किया गया था जिसे हमने स्वीकार नहीं किया है। हमने इस मामले में भी अपना काम किया है।
उन्होंने कहा कि दस्तावेज, जो कि प्रतियां हैं, को अगस्त 2017 में कर्नाटक के जल संसाधन मंत्री डीके शिवकुमार के आवास पर आयकर विभाग की छापेमारी के दौरान बरामद किया गया था। बालाकृष्णन ने कहा कि कागजात को हैदराबाद में फॉरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला भेजा गया जिसने यह कहते हुए उन्हें लौटा दिया कि उन्हें असली कागजात चाहिए।
उन्होंने कहा कि पत्रिका (कारवां) में जो भी चीज सामने आई है, वह आयकर विभाग की जब्त सामग्री का हिस्सा नहीं थी। बालकृष्णन ने कहा कि स्वीकार्य सबूतों के संबंध में उच्चतम न्यायालय के विभिन्न फैसलों के अनुसार इस विशेष डायरी का साक्ष्य के रूप में कोई महत्व नहीं है। (भाषा)