एक तरफ केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार देश की अर्थव्यवस्था को 5 ट्रिलियन तक ले जाने का दावा कर रही है, वहीं जीडीपी में हुई गिरावट ने इस दावे पर ही सवाल उठा दिए हैं। इस साल पहली तिमाही में विकास दर (जीडीपी) 5.8 से घटकर 5 पर आ गई है। सात साल में यह सबसे बड़ी गिरावट है।
कृषि क्षेत्र में संकट : ऐसा माना जा रहा है कि जीडीपी गिरने से कृषि क्षेत्र में भी संकट खड़ा हो सकता है। ताजे आंकड़ों के मुताबिक कृषि विकास दर 5.8 से घटकर 2 प्रतिशत पर आ गई है। ऐसे में मोदी सरकार के उन दावों की भी हवा निकलती दिख रही है, जिसमें कहा जा रहा था कि किसानों की आय 2021-22 तक दोगुना करने का काम किया जाएगा।
हालांकि, खनन क्षेत्र की विकास दर 0.4 प्रतिशत से बढ़कर 2.7 प्रतिशत पर पहुंच गई है। बिजली, गैस, जलापूर्ति और यूटिलिटी सेवाओं की विकास दर 8.6 प्रतिशत और लोक प्रशासन, रक्षा एवं अन्य सेवाओं की विकास दर 8.5 प्रतिशत दर्ज की गई।
व्यापार, होटल, परिवहन, संचार एवं प्रसारण से जुड़ी सेवाओं की विकास दर 7.1 प्रतिशत दर्ज की गई। वित्तीय, रियल इस्टेट एवं पेशेवर सेवाओं की विकास दर 5.9 फीसदी और निर्माण क्षेत्र की विकास दर 5.7 प्रतिशत रही।
रोजगार पर पड़ेगा असर : जानकारों की मानें तो ताजा आर्थिक स्थिति का असर शेयर बाजार पर पड़ सकता है। लंबे समय तक शेयर बाजार में गिरावट देखने को मिल सकती है। रोजगार के क्षेत्र में भी इसका असर देखने को मिल सकता है। ऑटो मोबाइल सेक्टर में तो इसका असर साफ दिखाई दे रहा है। इस क्षेत्र में लाखों लोगों की नौकरियां दांव पर लग गई हैं।