सूत्रों ने यहां बताया कि भारत ने ऐसे समय में भी गेहूं का निर्यात किया जब यूक्रेन, बेलारूस, तुर्की, मिस्र, कजाकिस्तान और कुवैत सहित लगभग आठ देशों ने गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था।
एक सूत्र ने कहा, यूक्रेन संघर्ष शुरू होने के बाद भारत ने मार्च में 17.7 करोड़ डॉलर और अप्रैल में 47.3 करोड़ डॉलर मूल्य के गेहूं का निर्यात किया है। देश के उत्तरी भागों में अत्यधिक गर्मी पड़ने की वजह से गेहूं के दाने में सिकुड़न आने और उसके कारण प्रति एकड़ उपज में गिरावट होने की वजह से गेहूं उत्पादन कम होने की चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।
पिछले एक साल में गेहूं और गेहूं के आटे की खुदरा कीमतों में 14-20 प्रतिशत की वृद्धि के बाद सरकार ने 13 मई को बढ़ती घरेलू कीमतों को नियंत्रित करने और भारत, पड़ोसी देशों और कमजोर देशों की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था।
सूत्रों ने कहा कि गेहूं निर्यात करने वाले देशों में भारत वर्ष 2020 में 19वें स्थान पर, वर्ष 2019 में 35वें स्थान, वर्ष 2018 और वर्ष 2017 में 36वें स्थान पर था। यह दर्शाता है कि गेहूं निर्यात में भारत का हिस्सा (0.47 प्रतिशत) कुछ खास नहीं है जबकि सात देशों (रूस, अमेरिका, कनाडा, फ्रांस, यूक्रेन, ऑस्ट्रेलिया और अर्जेंटीना) का पिछले पांच वर्षों में गेहूं निर्यात की कुल मात्रा में सबसे बड़ा हिस्सा है।
मिस्र और तुर्की भी भारत से बड़ी मात्रा में गेहूं का आयात कर रहे हैं और उन्हें अपने निर्यात को प्रतिबंधित करने के बाद खुले निर्यात की वकालत करने का कोई अधिकार नहीं है। गेहूं के अलावा कई अन्य खाद्य उत्पादों को निर्यात के लिए प्रतिबंधित कर दिया गया है जिनमें अर्जेंटीना, कजाकिस्तान, कैमरून और कुवैत द्वारा वनस्पति तेल के निर्यात पर प्रतिबंध शामिल हैं।(भाषा)