भारत को मिली अंतरिक्ष के क्षेत्र में एक और सफलता, Navigation satellites कक्षा में स्थापित, ISRO का 100वां मिशन सफल
तड़के 6 बजकर 23 मिनट पर प्रक्षेपित हुआ : श्रीहरिकोटा के अंतरिक्ष केंद्र से जीएसएलवी रॉकेट के जरिए नेविगेशन उपग्रह के प्रक्षेपण के लिए 27.30 घंटे की उल्टी गिनती मंगलवार को शुरू हुई थी। उल्टी गिनती समाप्त होने के बाद स्वदेशी क्रायोजेनिक चरण के साथ भू-समकालीन उपग्रह प्रक्षेपण यान (जीएसएलवी) अपनी 17वीं उड़ान में नेविगेशन उपग्रह एनवीएस-02 को लेकर यहां दूसरे लॉन्च पैड से तड़के 6 बजकर 23 मिनट पर प्रक्षेपित हुआ।
'नेविगेशन विद इंडियन कांस्टेलेशन' (नाविक) श्रृंखला का दूसरा उपग्रह : यह नेविगेशन उपग्रह 'नेविगेशन विद इंडियन कांस्टेलेशन' (नाविक) श्रृंखला का दूसरा उपग्रह है जिसका उद्देश्य भारतीय उपमहाद्वीप के साथ-साथ भारतीय भूभाग से लगभग 1,500 किलोमीटर आगे के क्षेत्रों में उपयोगकर्ताओं को सटीक स्थिति, गति और समय की जानकारी प्रदान करना है। इससे पहले 29 मई, 2023 को जीएसएलवी-एफ12 मिशन के तहत दूसरी पीढ़ी के पहले नेविगेशन उपग्रह एनवीएस-01 को सफलतापूर्वक प्रक्षेपित किया गया था।
बहुउपयोगी है नेविगेशन उपग्रह : इसरो ने कहा कि एनवीएस-02 उपग्रह स्थलीय, हवाई और समुद्री नेविगेशन, कृषि संबंधी सटीक जानकारी देने, बेड़ा प्रबंधन, मोबाइल उपकरणों में स्थान आधारित सेवाएं देने, उपग्रहों के लिए कक्षा निर्धारण, 'इंटरनेट-ऑफ-थिंग्स' आधारित एप्लीकेशन और आपातकालीन सेवाओं में सहयोग करेगा। 'इंटरनेट ऑफ थिंग्स' का तात्पर्य आपस में जुड़े उपकरणों के सामूहिक नेटवर्क और उपकरणों एवं क्लाउड के बीच संचार की सुविधा प्रदान करने वाली तकनीक से है।
नाविक में दूसरी पीढ़ी के 5 उपग्रह शामिल : नाविक में दूसरी पीढ़ी के 5 उपग्रह शामिल हैं- एनवीएस-01, एनवीएस 02, एनवीएस 03, एनवीएस 04 और एनवीएस 05। एनवीएस-2 को बेंगलुरु स्थित यू आर राव उपग्रह केंद्र ने डिजाइन और विकसित किया है। इसका वजन लगभग 2,250 किलोग्राम है। इसमें एल1, एल5 और एस बैंड में नेविगेशन पेलोड है और इसमें 'ट्राई-बैंड एंटीना' लगा है।(भाषा)(फोटो सौजन्य : ट्विटर)