जनरल रावत ने एक टेलीविजन चैनल को दिए साक्षात्कार में कहा, 'पाकिस्तान से बेहतरी की उम्मीद करना काफी त्रुटिपूर्ण है और जब तक वे आतंकवाद की विचारधारा तथा आतंकवादियों को समर्थन देना बंद नहीं करते तब तक उनसे कोई भी उम्मीद करना बेकार है। पाकिस्तान ने कश्मीर घाटी और राज्य के अनेक हिस्सों में आतंकवाद को समर्थन देने का मन बना लिया है और यह लगातार जारी है जिसे पाकिस्तानी सेना और वहां की खुफिया एजेंसी का समर्थन हासिल है।'
गौरतलब है कि विदेश मंत्रियों की बैठक के रद्द होने के बाद पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के खिलाफ बहुत ही गलत टिप्पणी कर अपने संस्कारों का परिचय दे दिया था। उनकी इस टिप्पणी की कांग्रेस और अन्य दलों ने जोरदार निंदा करते हुए कहा था कि प्रधानमंत्री के बारे में इस तरह की बयानबाजी स्वीकार्य नहीं है।
जनरल रावत ने कहा, 'हर बार हम जब भी हिंसा को नियंत्रित करते हैं तो पाकिस्तान अलग रणनीति अपनाता है ताकि हिंसा का स्तर बरकरार रहे। अगर आप देखेंगें तो पाएंगे कि इससे पहले क्या हुआ था और जब वे हारने लगते हैं या स्थिति नियंत्रित होने के कगार पर होती है तो उनकी नीति बदल जाती है। अब वे पुलिसकर्मियों का अपहरण कर रहे हैं और लोगों की बेदर्दी से हत्याएं कर रहे हैं तथा पुलिसकर्मियों को नौकरी छोड़ने की धमकियां दे रहे हैं।'
सेना प्रमुख ने कहा, 'इस तरह की स्थितियों में कश्मीर की जनता अपने आपको दोराहे पर पा रही है, एक तरफ तो आंतकवाद है क्योंकि वे महसूस करते हैं कि रोजगार और विकास नहीं है और जब उन्हें रोजगार मिल जाता है तो आतंकवादी पुलिसकर्मियों को अपनी नौकरियां छोड़कर घर आने को कहते हैं। मुझे पूरा यकीन है कि कश्मीर की जनता आतंकवादियों तथा पाकिस्तान में बैठे उनके आकाओं के खेल को अच्छी तरह समझ लेगी और यह कश्मीर के आतंकवाद के इतिहास में एक निर्णायक मोड़ साबित होगा।'
यह पूछे जाने पर कि क्या वाकई पाकिस्तान में हालात बदल गए हैं तो जनरल रावत ने कहा, 'जब तक पाकिस्तानि के लोग और कश्मीरी जनता इस बात को नहीं समझेगी तब तक इसी तरह की गतिविधियां जारी रहेंगी। पाकिस्तान कहता है कि आतंकवादी गतिविधियों के लिए वह अपनी जमीन का इस्तेमाल नहीं होने देगा, लेकिन हम देख सकते हैं कि वहां आतंकवादी गतिविधियां जारी हैं।' (वार्ता)