अग्रवाल ने पत्र में कहा कि इंडियन मेडिकल एसोसिएशन का मानना है कि फांसी की प्रक्रिया में कोई डॉक्टर उपस्थित नहीं होना चाहिए। यह चिकित्सा नीतियों का उल्लंघन है और इस लिहाज से पेशेवर कदाचार है। किसी दोषी को फांसी दिए जाते समय डॉक्टरों की मौजूदगी इसलिए जरूरी होती है कि फांसी दिए जाने के बाद डॉक्टर ही उसके महत्वपूर्ण अंगों की जांच कर उसे मृत घोषित करते हैं।