युद्ध की आहट! कितनी दूरी पर तैनात हैं भारत और चीन के सैनिक...

Webdunia
गुरुवार, 10 अगस्त 2017 (17:57 IST)
नई दिल्ली। युद्ध की आहट के बीच डोकलाम और सिक्किम के नाथू ला में तैनात सैनिकों के मनोबल का जायजा लेने वाले रिपोर्टर्स का कहना है कि दोनों देशों के सैनिकों के बीच मात्र 250 मीटर का फासला है। इस बीच, बीजिंग दरअसल मनोवैज्ञानिक जंग लड़ने में लगा है और इसके तहत नई-नई धमकियों को दे रहा है। दूसरी ओर नई दिल्ली का मानना है कि चीनी मुहावरों का उस पर कोई असर नहीं पड़ रहा है। 
 
जानकारों का कहना है कि डोकलाम में चीन द्वारा कड़ा रुख अपनाने के पीछे माना जा रहा है कि भारत के साथ भूटान का ओबीओआर (वन बेल्ट वन रोड) नीति को न मानने से ड्रेगन खिसिया गया है। साथ ही, भारत के रुख से जाहिर हो रहा है कि चीन-पाक इकोनॉमिक कॉरिडोर (सीपीईसी) के भविष्य को लेकर भी चीन आशंकित हो रहा है। इस कारण से चीन ने अपने मनोवैज्ञानिक युद्ध के सारे बांध खोल दिए हैं। 
 
फर्स्ट पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक नाथू ला में तैनात एक सैनिक का कहना था कि पीपुल्स लिबरेशन आर्मी डोकलाम में क्लास 4 रोड के विस्तार की कोशिशों से पहले ही तैयारी में जुटी हुई थी। सैनिक ने यह भी बताया कि भारतीय फौज ने मेकशिफ्ट (बनाओ-हटाओ) किस्म के बंकर बनाए हैं, लेकिन चीनी सेना के बनाए बंकर स्थायी किस्म के हैं। इस सैनिक का कहना है कि लेकिन हम जवाबी हमले के लिए तैयार हैं। हमारी सप्लाई-लाइन बिना किसी बाधा के जारी है और तीन परतों वाला हमारा सुरक्षा घेरा अभेद्य है।
 
सेना के एक अधिकारी का कहना है कि सितंबर आने के बाद डोकलाम बर्फ से ढंक जाएगा। उसने बताया कि बंकर साफ कर दिए गए हैं। बड़ी संभावना है कि सितंबर से अक्टूबर के बीच मौसम यहां खूब सर्द रहे। हर बंकर में सात सैनिक रह सकते हैं।' अनुमान है कि नाथू ला में तकरीबन 1200 बंकर होंगे।
 
नाथू ला धरातल से 14 हजार फुट की ऊंचाई पर है। ट्राइ-जंक्शन पर कटार के आकार वाली चुंबी घाटी है जहां से ठीक सीध में हमारा सिलीगुड़ी वाला गलियारा नजर आता है। काफी तंग होने के कारण इसे 'चिकन नेक' कहा जाता है। भूटान डोकलाम को एक विवादित क्षेत्र मानता है और भारत का मानना है कि डोकलाम इलाके में पीपुल्स लिबरेशन आर्मी की सड़क बनाने की कोशिश उसकी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए प्रत्यक्ष खतरा है। 
 
भारत का सुरक्षा-तंत्र चिंतित है कि कहीं चीन पूर्वोत्तर के इलाके से भारत का संपर्क काट देने का खेल तो नहीं रच रहा है। एक सैनिक ने अपना नाम गुप्त रखने की शर्त पर कहा है कि हमें डोकलाम में चीनियों की घुसपैठ को रोकने का आदेश मिला है, लेकिन जब तक हम उन्हें सचमुच रोक पाए उसके पहले ही उन लोगों ने लालटन चौकी के हमारे कुछ बंकरों को नष्ट कर दिया था।
 
इसी सैनिक ने बताया कि जहां दोनों देशों की सेना आमने-सामने डटी हैं वहां से हमारी सेना का बेस कैंप केवल 15 किलोमीटर दूर है। मनोबल को ऊंचा बनाए रखने के लिए सेना के अधिकारी ट्राइ-जंक्शन पर तैनात सैनिकों को जोश जगाने वाले संदेश देते हैं। सैनिकों को वे याद दिलाते हैं कि चाहे जो भी कीमत चुकानी पड़े लेकिन निशाना बनाए रखते हुए मुस्तैदी बरकरार रखनी है।
 
एक फौजी ऑफिसर ने कहा कि 'जब भी सैनिक अपनी ड्यूटी से लौटते हैं, वरिष्ठ अधिकारी उनसे भेंट करने का कोई मौका नहीं चूकते। हमलोग सैनिकों से बात करते हैं और उनकी चिंताओं को दूर करते हैं। अगर हमें सैनिकों में क्रोध, निराशा या बेचैनी के लक्षण दिखाई देते हैं तो हम उन्हें ड्यूटी से हटा लेते हैं। दोनों तरफ से जारी मनोवैज्ञानिक युद्ध की स्थिति सबसे बेहतरीन सैनिक को भी अपने चपेट में ले लेती है। 
 
ऐसी तनाव भरी हालत में यह ध्यान रखना बहुत अहम है कि हर सैनिक का मनोबल ऊंचा बना रहे।' इस सैन्य अधिकारी ने बताया कि 18 जून को हुई तनातनी के बाद गंगटोक में कायम सेना की एक पूरी कंपनी डोकलाम में तैनात कर दी गई। सेना की एक कंपनी में 3 हजार सैनिक होते हैं। भारत के इस कदम के जवाब में चीन ने भी ऐसा ही किया।
 
हिंदुस्तानी फौजियों ने सिक्किम के पहाड़ी इलाके में हैलीपैड बनाए हैं। कुपुक और जुलुक नाम के गांव के निवासियों की मदद से लंबी-लंबी झाड़ियों को हटाकर जगह चौरस कर दी गई है। सैनिक स्थानीय लोगों के साथ चाय-पान करते हुए उन्हें अपना दोस्त बना लेते हैं। भारत ने सीमा पर जाट रेजिमेंट के फौजियों को तैनात किया है। ये लोग अपनी जगह पर कायम रहेंगे और वे ट्राइ-जंक्शन तक विस्तृत सीमा-क्षेत्र की रखवाली करेंगे। वे इस बात का भी ध्यान रखेंगे कि उनके आगे का मंजर क्या करवट लेता है।

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