छांगुर के कोडवर्ड का मायालोक, धर्मांतरण यानी मिट्टी पलटना, पाकिस्तान और तुर्की से भी कनेक्शन सामने आया
Jalaluddin alias Changur Baba of Balrampur: यूपी के बलरामपुर का जलालुद्दीन उर्फ छांगुर बाबा अब एटीएस की पूछताछ में तोते की तरह बोल रहा है। उसने एटीएस को कई ऐसी बातें बताई हैं, जिसने सबको चौंका दिया है। अब उसके काले कारनामे धीरे-धीरे सामने आ रहे हैं। बताया जा रहा है कि छांगुर अपने साथियों से कोडवर्ड में बातें करता था। विदेशों में नौकरी दिलवाने और धन का प्रलोभन देकर धर्मांतरण कराया जाता है। छांगुर के 4 करीबी लोग धर्मांतरण करवाने का काम करते थे। नेपाल और खाड़ी देशों से संपर्क का हवाला देकर लोगों को अपने जाल में फंसाया जाता था।
विदेशों से फंडिंग : यूपी एटीएस की जांच में यह खुलासा हुआ है कि छांगुर को पिछले तीन सालों में लगभग 500 करोड़ की विदेशी फंडिंग मिली थी। इसमें से 200 करोड़ की आधिकारिक पुष्टि हुई है, जबकि 300 करोड़ अवैध हवाला चैनलों के माध्यम से नेपाल के रास्ते भेजे गए थे। पाकिस्तान, दुबई, सऊदी अरब और तुर्की जैसे मुस्लिम देशों से उसे फंडिंग मिलती थी। बताया जा रहा है कि नेपाल के सीमावर्ती जिलों- काठमांडू, नवलपरासी, रूपंदेही और बांके में 100 से अधिक बैंक खाते खोले गए थे। इन खातों में सीधे मुस्लिम देशों से फंड प्राप्त होता था। झांगुर इस फंड का उपयोग धर्मांतरण के लिए करता था। बताया जा रहा है कि वह सीमावर्ती जिलों के साथ ही अयोध्या जैसे पवित्र शहर की डेमोग्राफी भी बदलना चाहता था।
जलालुद्दीन से कैसे बना छांगुर : बचपन से उसके बाएं हाथ में छह उंगलियां हैं, इसी के चलते उसका नाम छांगुर (छह उंगलियों वाला) नाम पड़ा। उसका जन्म बलरामपुर के रेहरा माफी गांव में हुआ था। वह पहले अंगूठी और नग बेचने का काम करता था। मुंबई की हाजी अली दरगाह पर एक दिन उसकी मुलाकात नीतू और नवीन नामक पति-पत्नी से हुई। इन्हें कोई संतान नहीं थी।
बताया जाता है कि छांगुर ने दोनों को अंगूठी देकर संतान प्राप्ति की दुआ। संयोग से कुछ समय बाद नीतू ने एक बेटी को जन्म दिया। ये दोनों छांगुर से इतने प्रभावित हुए कि नीतू नसरीन हो गई और नवीन जमालुद्दीन। फिर इन दोनों का छांगुर ने अपने नेटवर्क में भी बखूबी इस्तेमाल किया। धीरे-धीरे छांगुर लोगों में 'पीर बाबा' के नाम से मशहूर हो गया।