उद्योग एवं वाणिज्य संगठन एसोचैम ने रविवार को कहा कि इस आंदोलन के कारण व्यापार, परिवहन आदि के रुकने से उद्योग जगत को नुकसान हुआ है। अलावा इसके निजी एवं सार्वजनिक संपत्तियों को भी बड़े पैमाने पर नुकसान पहुंचा है।
उसने कहा कि हरियाणा की सीमा दिल्ली, पंजाब, राजस्थान और उत्तर प्रदेश से लगती हैं जिसके कारण इन राज्यों में भी आर्थिक गतिविधियां प्रभावित हुई हैं। इसके साथ ही हरियाणा से कई राष्ट्रीय राजमार्ग भी गुजरते हैं। इन्हें रोके जाने से भी देश की अर्थव्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है।
संगठन ने कहा कि जहां राज्य सरकार को सार्वजनिक संपत्तियों जैसे बसों, निजी वाहनों, रेलवे स्टेशनों, पुलिस थानों, मॉल एवं होटलों आदि के जलाए जाने से हुए नुकसान को वहन करना है, वहीं अधिकतर जिलों में यातायात, व्यापार एवं कारोबारी गतिविधियां पूरी तरह से ठप हैं। रोहतक, झज्जर, बहादुरगढ़, हिसार, भिवानी, जींद, गोहाना, सोनीपत, कैथल, करनाल एवं पानीपत जिलों में व्यापार एवं उद्योग को सर्वाधिक नुकसान हुआ है।
एसोचैम ने राज्य के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर से अपील करते हुए कहा, राज्य प्रशासन को राज्य की छवि खराब कर रहे असामाजिक तत्वों को नियंत्रित करने के लिए आगे आना होगा। इससे निवेशकों की धारणा को झटका लगा है और वे इस क्षेत्र में निवेश करने में हिचकेंगे।
संगठन ने कहा कि करीब तीन करोड़ की आबादी वाला राज्य हरियाणा उद्योग, व्यापार, कृषि, डेयरी एवं परिवहन से करीब चार लाख 50 हजार करोड़ रुपए का सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) जुटाकर अब तक प्रगतिशील राज्य माना जाता रहा है।
उसने कहा, हजारों टन सामान से लदे सैकड़ों ट्रक एवं यात्रियों तथा सामानों से भरी ट्रेनें प्रभावित हुई हैं। यह हिंसक आंदोलन केवल कंपनियों एवं कारोबारियों के बैलेंस शीट पर प्रभाव नहीं डालेगा बल्कि इससे राज्य का बजट भी प्रभावित होगा। हैंडलुम, कॉरपेट आदि के लिए विश्व स्तर पर पहचाने जाने वाले पानीपत में भी टेक्सटाइल उद्योग को इससे भारी नुकसान पहुंचा है। (वार्ता)