दरअसल, सुन्नी उलेमा बोर्ड के मुस्लिम नेताओं ने मांग की है कि कर्नाटक का डिप्टी सीएम मुस्लिम समुदाय से होना चाहिए। इसके साथ ही कहा कि 5 मुसलमान विधायकों को अच्छे पोर्टफोलियो के साथ मंत्री बनाया जाए, जिसमें गृह, राजस्व, स्वास्थ्य और दूसरे विभाग होने चाहिए।
वक्फ बोर्ड के चेयरमैन शाफी सादी ने कहा, 'हमने चुनाव के पहले ही कहा था कि डिप्टी सीएम मुस्लिम होना चाहिए और हमें 30 सीटें (मुस्लिम उम्मीदवार) दी जाएं। हमको 15 सीट मिलीं और 9 मुसलमान उम्मीदवार जीतकर आए। 72 विधानसभाओं में कांग्रेस केवल मुसलमानों की वजह से जीती। एक समुदाय के रूप में हमने कांग्रेस को बहुत कुछ दिया है। अब समय आ गया है कि हमें बदले में कुछ मिले। हम मुस्लिम डिप्टी सीएम और 5 मंत्री चाहते हैं, जो गृह, राजस्व और स्वास्थ्य जैसे अच्छे पोर्टफोलियो के साथ हों। यह कांग्रेस की जिम्मेदारी है कि वह इसके साथ हमारा शुक्रिया अदा करे। हमने इसे लागू करने के लिए सुन्नी उलेमा बोर्ड के साथ एक आपात बैठक की है"
शफी ने कहा कि हम केवल एक डिप्टी सीएम को मुस्लिम होने के लिए कह रहे हैं। सही मायने में तो एक मुस्लिम सीएम होना चाहिए क्योंकि कर्नाटक के इतिहास में कभी कोई मुसलमान मुख्यमंत्री नहीं रहा है। राज्य में 90 लाख लोग मुस्लिम हैं। अनुसूचित जाति के अलावा हम सबसे बड़े अल्पसंख्यक समुदाय हैं। हमें जो 30 प्लस सीटें चाहिए थीं, वे नहीं मिलीं, लेकिन हमें कम से कम एसएम कृष्णा के कार्यकाल की तरह पांच मुस्लिम मंत्री और अब डिप्टी सीएम चाहिए।
यह पद किसे दिए जाएं, इस पर शफी ने कहा कि यह कांग्रेस के ऊपर है कि वह इन 9 लोगों (जीते हुए मुस्लिम उम्मीदवार) में से किसे पद देती है। उन्होंने कहा, यह फैसला कांग्रेस को लेना होगा कि किसने अच्छा काम किया है और कौन अच्छा उम्मीदवार है। कई मुस्लिम उम्मीदवारों ने भी अन्य निर्वाचन क्षेत्रों का दौरा किया और वहां हिंदू-मुस्लिम एकता सुनिश्चित करते हुए प्रचार किया। कभी-कभी तो अपने निर्वाचन क्षेत्र को पीछे छोड़ दिया। इसलिए कांग्रेस की जीत में इनकी अहम भूमिका है। उनके पास मुस्लिम समुदाय से एक आदर्श डिप्टी सीएम होना चाहिए. यह उनकी जिम्मेदारी है।
Edited by navin rangiyal