दरअसल, कुमारस्वामी सदन में बहुमत साबित नहीं कर पाए। विश्वासमत पर वोटिंग के दौरान उनके पक्ष में 99 वोट पड़े, जबकि उनके विरोध में 105 वोट पड़े। वोटिंग के दौरान 19 विधायक अनुपस्थित रहे, जबकि स्पीकर ने वोट नहीं डाला।
गौरतलब है कि विधानसभा चुनाव के बाद येदियुरप्पा के नेतृत्व में भाजपा की सरकार बनी थी, लेकिन शपथ लेने के बाद वे सदन में बहुमत साबित नहीं कर पाए थे। उस समय मात्र दो दिन ही मुख्यमंत्री पद की कुर्सी पर रहे थे। इससे पहले भी वे दो बार बहुत ही कम-कम समय के लिए मुख्यमंत्री रहे थे।