लेटरल एंट्री पर बैकफुट पर मोदी सरकार, भाजपा को क्यों याद आई सोनिया गांधी और NAC?

वेबदुनिया न्यूज डेस्क

मंगलवार, 20 अगस्त 2024 (15:49 IST)
Lateral entry : केंद्र सरकार ने विवाद के बीच मंगलवार को यूपीएससी को नौकरशाही में ‘लेटरल एंट्री’ से संबंधित नवीनतम विज्ञापन वापस लेने का निर्देश दिया। भाजपा भले ही इस मामले में बैकफुट पर नजर आ रही है लेकिन उसने इस मामले में पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और NAC का जिक्र कर कांग्रेस पर जमकर निशाना साधा है। ALSO READ: Lateral Entry पर झुकी मोदी सरकार, रद्द होगा नोटिफिकेशन, राहुल गांधी समेत NDA दलों ने उठाया था मुद्दा
 
क्या है लेटरल एंट्री : लेटरल एंट्री’ सीधी भर्ती की प्रक्रिया है जिसके माध्यम से विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञों की केंद्र सरकार के मंत्रालयों एवं विभागों में कुछ निश्चित समय के लिए नियुक्ति की जाती है। ये भर्तियां सामान्यत: संयुक्त सचिव, निदेशक और उप सचिव के पदों पर की जाती हैं।

क्या बोले कानून मंत्री : केंद्रीय विधि मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने दावा किया कि पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को 1976 में ‘लेटरल एंट्री’ के जरिए ही वित्त सचिव बनाया गया था। डॉ. मनमोहन सिंह भी ‘लेटरल एंट्री’ का हिस्सा थे। आपने 1976 में उन्हें सीधे वित्त सचिव कैसे बना दिया? उन्होंने कहा कि तत्कालीन योजना आयोग उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया भी लेटरल एंट्री के ज़रिए सेवा में आए थे।
 
मेघवाल ने कहा कि कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी को राष्ट्रीय सलाहकार परिषद (एनएसी) का प्रमुख बनाया गया था। उन्होंने चुटकी लेते हुए कहा कि प्रधानमंत्री का पद संवैधानिक है। क्या एनएसी एक संवैधानिक संस्था है। उन्होंने कहा कि सोनिया गांधी को प्रधानमंत्री से ऊपर रखा गया था।
 
मंत्री का UPSC प्रमुख को पत्र : केंद्रीय कार्मिक राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) की अध्यक्ष प्रीति सूदन को पत्र लिखकर विज्ञापन रद्द करने को कहा, ताकि कमजोर वर्गों को सरकारी सेवाओं में उनका उचित प्रतिनिधित्व मिल सके।
 
केंद्रीय कार्मिक राज्य मंत्री सिंह ने अपने पत्र में कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के लिए सार्वजनिक रोजगार में आरक्षण हमारे सामाजिक न्याय ढांचे की आधारशिला है जिसका उद्देश्य ऐतिहासिक अन्याय को दूर करना और समावेशिता को बढ़ावा देना है। चूंकि इन पदों को विशिष्ट मानते हुए एकल-कैडर पद के रूप में नामित किया गया है, इसलिए इन नियुक्तियों में आरक्षण का कोई प्रावधान नहीं है।
 
पत्र में उन्होंने दावा किया कि लेटरल एंट्री की परंपरा 2005 में UPA सरकार ने शुरू की थी। उन्होंने सोनिया गांधी की अध्‍यक्षता वाली राष्‍ट्रीय सलाहकार परिषद का जिक्र करते हुए कहा कि वह सुपर ब्यूरोक्रेसी बन गई थी। किस प्रकार इसके माध्यम से सरकार को कंट्रोल किया जाता था।
 
45 विशेषज्ञों की होनी थी भर्ती : केंद्र सरकार ने ‘लेटरल एंट्री’ के माध्यम से 45 विशेषज्ञों की विभिन्न केंद्रीय मंत्रालयों में संयुक्त सचिव, निदेशक और उपसचिव जैसे प्रमुख पदों पर नियुक्ति करने की घोषणा की थी। आमतौर पर ऐसे पदों पर अखिल भारतीय सेवाओं-भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS), भारतीय पुलिस सेवा (IPS) और भारतीय वन सेवा (IFOS) और अन्य ‘ग्रुप ए’ सेवाओं के अधिकारी तैनात किए जाते हैं।
 

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