लॉकडाउन में खासतौर से सबसे ज्यादा प्रभावित देशभर के अलग-अलग हिस्सों के मजदूर हुए हैं। वे पैदल ही एक राज्य से दूसरे राज्य के लिए निकल गए है। एक हजार, दो हजार और यहां तक कि तीन हजार किलोमीटर के सफर के लिए।
कलयुग के इस श्रवण कुमार की कहानी बेहद मार्मिक है। इसे कोई नाम देना चाहेंगे तो शायद नहीं दे पाएंगे। कोई मान देना चाहेंगे तो शायद नहीं दे पाएंगे। क्योंकि श्रवण कुमार ने भी अपने अंधे मां बाप की सेवा की थी लेकिन इस श्रवण कुमार की सेवा तो अपनी चाची के लिए वो कर दिखाया जो इस जमाने में कोई शायद अपने मां बाप के लिए भी कोई न करे।
यह दृश्य देखकर तो यही कहा जा सकता है कि हर चाची को ऐसा भतीजा मिले। हर मां को ऐसा बेटा मिले!
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक इस शख्स का नाम विश्वनाथ शिंदे हैं। उम्र है चालीस साल। ये मुम्बई में कंस्ट्रक्शन वर्कर हैं। वहां काम कर के अपना और परिवार के सदस्यों का पेट पालता है। ये वही मजदूर है जो लॉकडाउन में ये सफर तय करने को मजबूर है।
उनकी गोद में उनकी चाची वचेलाबाई हैं। चाची 70 साल की हैं और उनका अब विश्वनाथ के अलावा कोई नहीं। विश्वनाथ अपनी चाची को नवी मुंबई से अकोला ले जा रहे हैं। कई किलो मीटर का यह सफर वे अकेले तय कर रहे हैं। न भूख की चिंता और न प्यास की फिक्र। तपती धूप में चाची को कंधे पर बैठाकर मुंबई से निकल गए अकोला के लिए।