करुणानिधि को मरीना बीच पर दफनाने पर विवाद, जानिए खास बातें

Webdunia
बुधवार, 8 अगस्त 2018 (10:10 IST)
मद्रास हाईकोर्ट में करुणानिधि का मरीना बीच पर अंतिम संस्कार और समाधि को लेकर सुनवाई चल रही है। जानिए क्यों हो रहा है विवाद।
 
- तमिलनाडु सरकार ने पहले मरीना बीच पर जगह देने से इंकार कर दिया था। सरकार का कहना था कि जमीन को लेकर मद्रास हाईकोर्ट में तमाम केस चल रहे हैं और कानूनी अड़चनें हैं। इसके बाद विवाद शुरू हो गया।
- डीएमके इस मामले को लेकर रात में ही अदालत पहुंची और देर रात को इस मामले की सुनवाई हुई।
- तमिलनाडु सरकार ने करुणानिधि को दफनाने के लिए मरीना बीच की जगह गांधी मंडपम में जगह देने की पेशकश की थी। यहां पूर्व मुख्यमंत्री सी. राजगोपालाचारी और के. कामराज के स्मारक भी हैं। हालांकि डीएमके तमिलनाडु सरकार के इस प्रस्ताव पर राजी नहीं हुई।
- 2016 में जयललिता के निधन के बाद उनका अंतिम संस्कार भी मरीना बीच पर ही किया गया। हालांकि वॉटर फ्रंट से 500 मीटर के दायरे में किसी निर्माण की रोक थी। ऐसे में जयललिता का अंतिम संस्कार उनके गुरु रहे एमजी रामचंद्रन के मेमोरियल में ही हुआ, जो पहले से ही वहां था। 
- अभी तक सिर्फ दो मुख्यमंत्रियों को दफनाने के लिए मरीना बीच पर जगह मिली है, इसमें पूर्व मुख्यमंत्री सीएन अन्नादुराई और एमजी रामचंद्रन शामिल हैं। सीएन अन्नादुराई ने डीएमके की स्थापना की थी। एमजी रामचंद्रन एआईएडीएमके के संस्थापक हैं।
- डीएमके का तर्क है कि इसी फॉर्मूले से करुणानिधि को दफनाने की भी छूट मिले। पार्टी का कहना है कि हम अभी तत्काल मेमोरियल की मांग नहीं कर रहे हैं। डीएमके का तर्क है कि करुणानिधि को उनके मेंटर रहे अन्नादुराई के निकट दफनाया जाए।
- राहुल गांधी, सीताराम येचुरी, डी. राजा समेत कई विपक्षी नेताओं और अभिनेता रजनीकांत ने भी डीएमके की मांग का समर्थन किया है। 

सम्बंधित जानकारी

अगला लेख