Maharashtra Politics : महाराष्ट्र के विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने शुक्रवार को कहा कि राज्य विधानमंडल में केवल एक शिवसेना विधायक दल है। इसके विधायकों को मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले खेमे के सचेतक भरत गोगावले द्वारा जारी व्हिप का पालन करना होगा, जिसे उन्होंने मान्यता दी है।
नार्वेकर ने एक समाचार चैनल के साथ बातचीत में कहा कि उन्होंने 2022 में पार्टी में विभाजन के बाद एक-दूसरे के विधायकों को अयोग्य ठहराने की मांग करने वाले शिवसेना गुटों की याचिकाओं पर अपना फैसला देते समय उच्चतम न्यायालय के दिशानिर्देशों का पूरी तरह पालन किया है, और उनका निर्णय विश्वसनीय है।
शिंदे संगठन को असली शिवसेना के रूप में मान्यता देने के लिए नार्वेकर को विपक्ष, खासकर उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना (यूबीटी) की ओर से कड़ी आलोचना का सामना करना पड़ा है। ठाकरे ने फैसले को लोकतंत्र की हत्या करार देते हुए कहा है कि उनकी पार्टी इसके खिलाफ शीर्ष अदालत जाएगी।
नार्वेकर ने कहा कि मुझे यह तय करना था कि विधायिका में दोनों समूहों में से कौन सा मूल राजनीतिक दल का प्रतिनिधित्व करता है। किसी भी पार्टी के पास 2 व्हिप नहीं हो सकते। इसलिए उस (अन्य) समूह के विधायकों को मेरे द्वारा मान्यता प्राप्त व्हिप का पालन करना होगा। व्हिप पार्टी विधायकों के लिए बाध्यकारी होता है। ऐसा न करने पर उन्हें अयोग्य ठहराया जा सकता है।
यह पूछे जाने पर कि क्या उनके सामने शिवसेना (यूबीटी) समूह मौजूद है, नार्वेकर ने कहा कि अध्यक्ष के सामने केवल शिवसेना विधायक दल है।
यह पूछे जाने पर कि क्या गोगावले का व्हिप ठाकरे खेमे पर लागू होगा, नार्वेकर ने कहा कि ठाकरे खेमे के विधायक जिस विधायक दल के हैं, उसका व्हिप उन पर लागू होगा।
नार्वेकर ने बुधवार को शिवसेना विधायकों से संबंधित अयोग्यता याचिकाओं पर अपना आदेश दिया। उन्होंने शिंदे के नेतृत्व वाली पार्टी को वास्तविक राजनीतिक दल और गोगावले को पार्टी सचेतक के रूप में मान्यता दी।
शिवसेना के 2018 के संविधान को मान्यता नहीं देने के अपने फैसले का बचाव करते हुए, नार्वेकर ने कहा कि जो लोग राष्ट्रीय कार्यकारिणी के लिए चुने गए, उसकी सूचना भारत निर्वाचन आयोग को दे दी गई थी, लेकिन उनके पत्र में यह उल्लेख नहीं है कि इसके साथ पार्टी के संविधान की प्रति संलग्न की गई है।
उन्होंने कहा कि राज्य विधानमंडल के नियमों के अनुसार, किसी राजनीतिक दल को विधायक दल के रूप में मान्यता मिलने के बाद, उसे 30 दिन में अपने संविधान और संगठनात्मक ढांचे की एक प्रति अध्यक्ष के कार्यालय में जमा करनी होती है।
नार्वेकर ने कहा, 'लेकिन दुर्भाग्य से, न तो उद्धव ठाकरे और न ही एकनाथ शिंदे ने अध्यक्ष के कार्यालय को इसकी सूचना दी।'