इन कारोबारियों के वकील का कहना था कि कानूनी प्रावधानों पर विचार किए बगैर ही अधिकरण ने इस तरह का प्रतिबंध लगाने का आदेश दे दिया है। उनका कहना था कि डोर के साथ मांझा दशकों से इस्तेमाल हो रहा है और इससे मनुष्य, मवेशियों और पक्षियों को खतरा होने का मसला कभी भी नहीं उठा। पीठ ने कहा कि चूंकि यह डोर शीशामिश्रित है इसलिए यह मवेशियों और पक्षियों के लिए नुकसानदेह हो सकती है।
अधिकरण ने पिछले साल मांझा के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाते हुए कहा था कि शीशा और धातु पाउडर मिश्रित डोर पर्यावरण के लिए खतरा पेश करती है। अधिकरण ने कहा था कि प्रतिबंध का यह आदेश शीशामिश्रित नायलॉन, चीनी और देसी मांझा पर लागू होगा आौर उसने मांझा एसोसिएशन को निर्देश दिया था कि पतंग की डोर के हानिकारक प्रभावों के बारे में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को रिपोर्ट पेश करे।