जम्मू। कांग्रेस ने तिरंगे को लेकर जम्मू-कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती द्वारा की गई टिप्पणी को लेकर आज उनका इस्तीफा मांगा और कहा कि तिरंगे के अपमान का किसी को भी अधिकार नहीं है।
पार्टी ने कहा कि उन्होंने जनता की भावनाओं को ठेस पहुंचाई है और भाजपा से कहा कि वह यह बताएं कि जम्मू-कश्मीर सरकार में उसकी गठबंधन सहयोगी पीडीपी और मुख्यमंत्री किस तरह की आजादी की वकालत कर रहे हैं।
कांग्रेस की राज्य इकाई के मुख्य प्रवक्ता रवींद्र शर्मा ने यहां बताया, ‘मुख्यमंत्री के वक्तव्य पर कांग्रेस ने कड़ा एतराज जताया है। तिरंगे के साथ बड़े-बड़े बलिदान और राष्ट्र का सम्मान जुड़ा है, राष्ट्रीय ध्वज का अपमान करने का अधिकार किसी को भी नहीं है।’
उन्होंने कहा, ‘महबूबा को राष्ट्रीय ध्वज का किसी भी रूप में उदाहरण देने का और तिरंगा का अपमान कर राष्ट्रवादी भवानाओं को ठेस पहुंचाने का कोई हक नहीं है, चाहे इसके पीछे उनका तर्क या संदर्भ कुछ भी हो।’
नई दिल्ली में शुक्रवार को एक कार्यक्रम में महबूबा ने कहा था, ‘ ये कौन कर रहा है? वे ऐसा क्यों कर रहे हैं? (अनुच्छेद 35-ए को चुनौती). मैं आपको बताना चाहती हूं कि काफी जोखिम के बावजूद मेरी पार्टी समेत अन्य जो पार्टियां यहां (जम्मू-कश्मीर में) तिरंगे को थामे हुए हैं... मुझे कोई संदेह नहीं कि फिर कोई उसे (राष्ट्रीय ध्वज) थामने वाला नहीं होगा (अगर इस अनुच्छेद से छेड़छाड़ की गई)’।
शर्मा ने भाजपा पर भी निशाना साधा और उस पर राज्य में सत्ता में बने रहने की खातिर (गठबंधन के) एजेंडा को छोड़ देने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, ‘महबूबा मुफ्ती के कथन पर हमें भाजपा से जवाब चाहिए। यहां तक कि वह एनआईए जांच की उपयोगिता पर सवाल खड़े कर रही हैं और अपने अतार्किक तथा बेहद आपत्तिजनक एजेंडा का प्रचार कर रही हैं।’
शर्मा ने पूछा कि उनकी गठबंधन सहयोगी पीडीपी किस तरह की आजादी की वकालत कर रही हैं। उन्होंने कहा कि महबूबा पद पर बने रहने का अधिकार खो चुकी हैं। भाजपा ने कल महबूबा की टिप्पणियों पर हैरत जताई थी और जोर देकर कहा था कि संविधान का अनुच्छेद 35-ए जो राज्य को विशेष दर्जा देता है वह ‘पवित्र गाय की तरह नहीं है, जिसे छुआ नहीं जा सके।’ (भाषा)