संसदीय कार्यमंत्री नरेंद्रसिंह तोमर ने कहा कि सरकार राफेल मुद्दे पर चर्चा के लिए तैयार है। लेकिन, इस मामले में उच्चतम न्यायालय के फैसले से दूध का दूध और पानी का पानी हो गया है और अब जेपीसी की जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा कि सरकार हर नोटिस पर चर्चा के लिए तैयार है।
इससे पहले राफेल सहित विभिन्न मुद्दों पर कांग्रेस, अन्नाद्रमुक और तेलुगूदेशम पार्टी के हंगामे के बीच कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि राफेल विमान सौदे में देश ने प्रौद्योगिकी हस्तांतरण का मौका खो दिया है। इसमें देश के रक्षा हितों को नुकसान पहुंचा है। उन्होंने कहा कि चूंकि उच्चतम न्यायालय का फैसला 'सरकार के झूठ' पर आधारित है, इसलिए इस मामले में जिम्मेदारी तय करने के लिए जेपीसी जरूरी है। उन्होंने कहा कि हमें मौका दीजिए और संसद सारे विवरणों की विस्तार से जांच करेगी।
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के मोहम्मद सलीम ने भी इस मसले पर चर्चा की मांग की। वहीं, तृणमूल कांग्रेस के सुदीप बंदोपाध्याय ने कहा कि हर पार्टी के अपने-अपने मसले हैं और इनके लिए सदन की कार्यवाही बाधित नहीं की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि सभी दलों को मिलकर चर्चा करनी चाहिए कि सदन की कार्यवाही किस प्रकार निर्बाध चलाई जा सके। अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने भी इसका समर्थन किया। (वार्ता)