नई दिल्ली। क्या आप यह सोच सकते हैं कि गंभीर रूप से अस्थमा से पीड़ित बच्चा जो इनहेलर से एक पफ लिए बिना 100 मीटर भागने में भी हांफ जाता हो, वह दुनिया के सातों महाद्वीपों में सात चोटियों पर तिरंगा फहराकर अपने देश का नाम रोशन कर सकता है। जी हां, यह सच है, सत्यरूप सिद्धांत यह उपलब्धि हासिल करने वाले पांचवें भारतीय नागरिक हैं। सत्यरूप ने दक्षिणी ध्रुव के आखिरी हिस्से में 111 किलोमीटर की चढ़ाई महज छ: दिनों में की थी।
बांसुरी से बजाई राष्ट्रीय गीत की धुन : अंटाकर्टिका में बांसुरी से राष्ट्रीय गीत की धुन बजाने वाले पहले भारतीय हैं। इसके साथ ही वे भारत के सात ज्वालामुखी पर्वतों की चढ़ाई शुरू करने वाले पहले भारतीय होंगे। सत्यरूप का कहना है कि मैं बड़े सपने देखने में विश्वास रखता हूं और उन्हें पूरा करने में अपनी ओर से कोई कोर-कसर नहीं छोड़ता। चाहे कितने भी विपरीत हालात हों, मैं अपने सपनों का पीछा हर हाल में करता हूं। सत्यरूप का मिशन एडवेंचर स्पोटर्स के क्षेत्र में क्रांति लाने का है। वे जलवायु परिवर्तन के प्रति जागरूकता उत्पन्न करना चाहते हैं और नए-नए वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाने की कगार पर है।
सत्यरूप ने न केवल स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं पर काबू पाया, बल्कि उन्होंने अपने सपने को पूरा करने के लिए वित्त का प्रबंध भी किया। उन्होंने न सिर्फ माउंट एवरेस्ट, बल्कि दुनिया के 7 महाद्वीप के 7 सबसे ऊंचे पर्वतों पर तिरंगा फहराया। सात महाद्वीपों की 7 सबसे ऊंची पर्वत चोटियों को 'सेवन समिट्स' कहा जाता है, जिसमें किलिमंजारो, विन्सन, मैसिफ, कॉसक्यूजको, कार्सटेन्सज पिरामिड, एवरेस्ट, एलब्रुस और माउंट मैककिनले शामिल हैं।
सत्यरूप अब हर महाद्वीप में ज्वालामुखी पर्वतों पर चढ़ाई करने के आखिरी राउंड में है। अब तक विश्व के 7.6 अरब लोगों में से केवल 20 लोगों ने यह उपलब्धि हासिल की है। जनवरी 2019 में 35 साल 9 महीने की उम्र में वे हर महाद्वीप में मौजूद 7 ज्वालामुखी पर्वतों और 7 समिट्स पर फतह हासिल करने वाले वे सबसे कम उम्र के पर्वतारोही बन जाएंगे।
सात ज्वालामुखी पहाड़ों और नॉर्थ पोल को फतह करने का सपना : सत्यरूप ने 2017 में अंटाकर्टिका में माउंट विन्सन मैसिफ पर चढ़ाई की। दुनिया के छ: महाद्वीपों को सबसे ऊंची चोटी को फतह कर चुके सत्यरूप अपना ग्रैंडस्लैम खिताब पूरा करने के लिए अंटाकर्टिका और चिली के दो महीने के अभियान पर 30 नवंबर 2017 को रवाना हुए थे। इससे पहले 2015 के नवंबर में बांग्लादेश के वासिया नजरीन ने इस शिखर पर चढ़ाई की थी।
नॉर्थ और साउथ पोल के बीच सबसे पहली बार यात्रा करने वाले मशहूर पर्वतारोही रॉबर्ट स्वैन ने सत्यरूप की उपलब्धि पर कहा कि जब वे बच्चे थे तो थोड़ी दूर भागने में ही हांफ जाते हैं, लेकिन अब उन्हें देखिए। उन्होंने 7 समिट्स चैलेंज (दुनिया के सात महाद्वीपों में सात सबसे ऊंचे पवर्तों की चढ़ाई) को सफलतापूर्वक पूरा किया। वे दक्षिणी ध्रुव के अंतिम छोर तक पहुंचे। अब उनका सपना सात ज्वालामुखी पहाड़ों और नॉर्थ पोल को फतह करने का है। (वार्ता)