कांग्रेस का 85वां राष्ट्रीय अधिवेशन आज से रायपुर में शुरु हो रहा है। तीन दिन के इस अधिवेशन में कांग्रेस के 1800 सदस्य और लगभग 15 हजार प्रतिनिधि शामिल होंगे। कांग्रेस शासित राज्य छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में हो रहे अधिवेशन में 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए पार्टी की रणनीति तैयार करने के साथ साल के अंत में होने वाले छत्तीसढ़, मध्यप्रदेश और राजस्थान चुनाव पर भी मंथन होगा। ढ़ाई दशक बाद गांधी परिवार के बाहर मल्लिकार्जुन खड़गे की अध्यक्षता में होने वाले पार्टी के राष्ट्रीय अधिवेशन में कांग्रेस की भविष्य की राजनीति का रौडमैप तैयार होने के साथ 2024 के लोकसभा चुनाव की रणनीति पर मंथन होगा।
2024 के लिए गठबंधन बनाने की चुनौती-रायपुर में कांग्रेस अधिवेशन से ठीक पहले पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने 2024 में कांग्रेस सरकार बनने का दावा किया। नगालैंड में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए खड़गे ने कहा कि 2024 में कांग्रेस गठबंधन की सरकार बनेगी और कांग्रेस ही सरकार का नेतृत्व करेगी। उन्होंने कहा कि 2024 में देश की जनता पीएम मोदी को सबक सिखाएगी। खड़गे ने दावा किया कि अन्य दलों के साथ बातचीत चल रही है।
2024 के लोकसभा चुनाव में अन्य दलों को अपने नेतृत्व में एक मंच पर लाना कांग्रेस की सबसे बड़ी चुनौती है। मोदी को रोकने के लिए विपक्षी दलों का एक सशक्त गठबंधन बनाने के लिए जरूरी है कि क्षेत्रीय दलों को एक मंच पर लाया जाए। पिछले दिनों राहुल गांधी की अगुवाई में निकली भारत जोड़ो यात्रा में जिस तरह से अखिलेश यादव और मायावती ने जुड़ने से इंकार कर दिया वहीं नीतीश कुमार,ममता बनर्जी, शरद पवार भी खुलकर सामने नहीं आए तो 2024 में कांग्रेस के नेतृत्व में यह दल एक साथ आएंगे यह भी बड़ा सवाल है। वही नवीन पटनायक और कुमारस्वामी और जैसे नेता भी कैसे जुड़ेगे यह भी बड़ा सवाल है।
ऐसे में रायपुर अधिवेशन में कांग्रेस क्षेत्रीय दलों को 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले एक साथ एक मंच पर लाने का फॉर्मूला भी तैयार करेगी। अलग-अलग राज्यों में क्षेत्रीय दलों को लोकसभा चुनाव के लिए कैसे एक मंच पर लाया जा सके इस पर अगले तीन दिनों तक मंथन होगा।
मोदी ब्रांड से मुकाबला करने का प्लान-भारत जोड़ो यात्रा के जरिए भले ही राहुल गांधी ने 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए कांग्रेस की एक सियासी जमीन तैयार करने की कोशिश की हो लेकिन उस सियासी जमीन पर वोटों की फसल काटना कांग्रेस के लिए सबसे बड़ी चुनौती आज भी है और आगे भी रहेगी। भले ही राहुल गांधी मंहगाई, बेरोजगारी और लोकतंत्र के मुद्दें पर मोदी सरकार पर हमलावर हो लेकिन आज भी मोदी का चेहरा और मोदी ब्रांड इन सब मुद्दों पर भारी पड़ता दिखता है।
ऐसे में कांग्रेस को अपने रायपुर अधिवेशन में 2024 में मोदी के चेहरे को चुनौती और उसकी काट के लिए कोई प्लान तैयार करना होगा। राहुल गांधी ने भारत जोड़ो यात्रा के दौरान वीर सावरकर के माफीनामे जैसे मुद्दें को उठा कर 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए कांग्रेस के एजेंडे को भले ही साफ कर दिया हो लेकिन ऐसे मुद्दें कांग्रेस के पक्ष में वोट को बदल पाएंगे यह भी बड़ा सवाल है।
खड़गे का नेतृत्व और कांग्रेस को मजबूत करना–26 साल बाद गांधी परिवार के बाहर राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के नेतृव्य में होने वाले राष्ट्रीय अधिवेशन में कांग्रेस पार्टी अपने आगे के रौडमैपर पर महामंथन करने जा रही है। वहीं कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे भले ही 2024 में कांग्रेस के नेतृत्व में सरकार बनने का दावा कर रहे हो लेकिन 2024 कांग्रेस की सरकार बनी तो उसका नेतृत्व कौन करेगा,इस पर मल्लिकार्जुन कुछ भी नहीं बोल रहे है। कांग्रेस में मल्लिकार्जुन खड़गे को गांधी परिवार को रबर स्टैंड के तौर पर देखा जाता है। खुद खड़गे भी गांधी परिवार के प्रति अपनी निष्ठा नहीं छिपाते है। दरअसल कांग्रेस और गांधी परिवार एक दूसरे से पर्याय माने जाते है। जब-जब कांगेस में गांधी परिवार के बाहर कोई व्यक्ति पार्टी का अध्यक्ष बनाया गया है तो यह माना गया है कि पर्दे के पीछे सभी फैसले गांधी परिवार ही लेता है।
अगर कांग्रेस पार्टी के इतिहास को देखा जाए जब-जब कांग्रेस में गांधी परिवार के बाहर को कोई अध्यक्ष हुआ है तो उसे गांधी परिवार का रबर स्टैप माना गया है। ऐसे में खड़गे को भी इस चुनौती से जूझना होगा और खुद उनके लिए गांधी परिवार के साये से बाहर निकलना एक बड़ी चुनौती है।
मोदी के सामने राहुल का चेहरा-राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा से कांग्रेस को जो नई ऊर्जा मिली है, उसके बाद कांग्रेस का जमीनी कार्यकर्ताओं में नए जोश का संचार हुआ है। भारत जोड़ो यात्रा में राहुल गांधी ने कांग्रेस के संगठन को फिर से खड़ा करने की कोशिश की। यात्रा के दौरान राहुल गांधी के साथ बूथ स्तर के कार्यकर्ता भी नजर आए। इसके साथ राहुल गांधी यात्रा के दौरान पार्टी के कार्यालय पर जाने के साथ अलग-अलग राज्य में नेताओं के साथ बैठक कर संगठन को मजबूत करने के साथ एकता का मंत्र दिया। यात्रा के दौरान राहुल गांधी की नजर कांग्रेस के कोर वोटर्स पर भी रही और उन्होंने उस कोर वोटर को पार्टी से जोड़ने की हर मुमकिन कोशिश की। राहुल गांधी ने कार्यकर्ताओं के जरिए दलित और आदिवासियों वोटर्स के साथ यूथ वोटर्स को पार्टी के साथ जोड़ने की पूरी कोशिश की।
भारत जोड़ो यात्रा को 2024 के लोकसभा चुनाव में मोदी के खिलाफ राहुल गांधी के एक चेहरे के रूप में स्थापित करने के तौर पर भी देखा गया। भारत जोड़ो यात्रा के दौरान राहुल गांधी सीधे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर अक्रामक नजर आए। 2014 में केंद्र में मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद भारत जोड़ो यात्रा के बहाने कांग्रेस ने पहली बार देशव्यापी इतना बड़ा शक्ति प्रदर्शन किया और वह 2024 के लिए मोदी के सामने एक सशक्त प्रतिंदद्धी के रूप में स्थापित हुए है।