New Parliament House: परंपराओं और आधुनिकता का मिश्रित स्वरूप है नया संसद भवन

मंगलवार, 19 सितम्बर 2023 (22:12 IST)
New Parliament House: संसद का नया भवन (new Parliament House) वैदिक काल (Vedic period) से लेकर वर्तमान समय तक भारत की लोकतांत्रिक परंपराओं (democratic traditions) की कहानियां चित्रित करता है। संसद के नए भवन में मंगलवार को लोकसभा (Lok Sabha) और राज्यसभा (Rajya Sabha) की प्रथम बैठक हुई।
 
नए भवन के 'कांस्टीट्यूशन हॉल' में लोकतंत्र की विकास यात्रा को विभिन्न वस्तुओं और चित्रों के माध्यम से प्रदर्शित किया गया। संसद का नया भवन श्रीयंत्र से प्रेरित है जिसका इस्तेमाल हिन्दू परंपराओं में पूजा के लिए होता है और इसे पवित्र ऊर्जा का स्रोत माना जाता है।
 
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि भारत के जीवंत लोकतंत्र में नए अध्याय की शुरुआत करते हुए नया संसद भवन आशा और प्रगति के प्रकाश स्तंभ के रूप में खड़ा है। यह हमारे राष्ट्र की आकांक्षाओं को और हमारे भविष्य की अनंत संभावनाओं को प्रतिबिंबित करता है।
 
'कांस्टीट्यूशनल हॉल' में भारतीय संविधान की एक डिजिटल प्रति रखी गई है जिसमें आधुनिकता का भाव है। इसमें फूको लोलक (फौकॉल्ट पेंडुलम) भी रखा गया है, जो पृथ्वी के परिक्रमण को दर्शाता है। यह लोलक 'कांस्टीट्यूशनल हॉल' की त्रिभुजाकार छत से एक बड़े स्काईलाइट से लटका है और ब्रह्मांड के साथ भारत के विचार को झलकाता है।
 
लोकसभा और राज्यसभा के सदनों में डिजिटल मतदान प्रणाली, आधुनिक दृश्य-श्रव्य प्रणाली के साथ बेहतर एकॉस्टिक (ध्वनि अनुकूल) व्यवस्था है। नए भवन में 3 खंडों में महात्मा गांधी, चाणक्य, गार्गी, सरदार वल्लभ भाई पटेल, बीआर आंबेडकर के साथ ही कोणार्क के सूर्य मंदिर में स्थित सूर्य चक्र की बड़ी कांस्य छवियां हैं।
 
नए भवन के प्रवेश मार्ग 3 गैलरी की ओर जाते हैं जिनमें भारत की नृत्य, गीत और संगीत परंपराओं को दर्शाने वाली संगीत गैलरी, देश के वास्तु-शिल्प को दर्शाने वाली स्थापत्य गैलरी और विभिन्न राज्यों की हथकरघा परंपराओं को दर्शाने वाली शिल्प गैलरी हैं।
 
नए भवन में पेंटिंग, भित्तिचित्रों, पत्थर की मूर्तियों और धातु की कृतियों समेत करीब 5,000 कलाकृतियां हैं। लोकसभा चैंबर का आंतरिक स्वरूप राष्ट्रीय पक्षी मोर पर आधारित है, वहीं राज्यसभा का स्वरूप राष्ट्रीय पुष्प कमल पर आधारित है। अधिकारियों के अनुसार संगीत गैलरी के लिए अनेक महान संगीतज्ञों के परिजनों ने उनके वाद्य यंत्र प्रदान किए हैं जिनमें उस्ताद अमजद अली खान, पंडित हरिप्रसाद चौरसिया, उस्ताद बिस्मिल्लाह खान और पं. रविशंकर शामिल हैं।(भाषा)
 
Edited by: Ravindra Gupta

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