मध्यप्रदेश : इंदौर में अवैध प्रयोगशाला में मिला खतरनाक केमिकल, पल में ले सकता था 50 लाख लोगों की जान

रविवार, 30 सितम्बर 2018 (13:33 IST)
इंदौर। मध्यप्रदेश के इंदौर की अवैध प्रयोगशाला में ऐसा जहर मिला है, जो करीब 50 लाख लोगों को पल में मौत के मुंह में पहुंचा सकता था। डायरेक्टरेट ऑफ रेवेन्यू (डीआएआई) के सप्ताहभर चले अभियान में फेंटानिल नामक एक खतरनाक केमिकल बरामद हुआ है। इसके बाद से ही वैज्ञानिक यह सोचने पर मजबूर हो रहे हैं कि क्या ये किसी केमिकल युद्ध की तैयारी थी?
 
इंदौर में एक प्रयोगशाला से एक घातक सिंथेटिक ओपियॉड पकड़ा गया है। लगभग 9 किलोग्राम फेंटानिल 50 लाख लोगों की मिनटों में जान ले सकता है। डीआएआई, डिफेंस रिसर्च और डेवलपमेंट एस्टेब्लिशमेंट की सप्ताहभर चली संयुक्त कोशिश से ये छापामारी हो सकी। 
 
सूंघने से पल में जा सकती है जान : घनी आबादी वाले शहर की एक स्थानीय लैब में बनाए जा रहे फेंटानिल की ताकत का अंदाजा इतने भर से लगाया जा सकता है कि ये हेरोइन से भी 50 गुना ज्यादा खतरनाक है। यहां तक कि इसे केवल कुछ सेकंड्‍स सूंघना एक स्वस्थ इंसान को मिनटों में मौत के मुंह में ले जा सकता है। इस केमिकल का इस्तेमाल अस्पताल में ऑपरेशन के बाद का असहनीय दर्द दूर करने और शरीर को सुन्न करने के लिए किया जाता रहा है।
 
मैक्सिकन नागरिक हुआ गिरफ्‍तार : छापे में पता चला कि स्थानीय बिजनेसमैन और 'यूएस-हेटिंग' पीएचडी शोधार्थी द्वारा यह लैब चलाया जा रहा था। साथ में एक मैक्सिकन नागरिक को भी इस मामले में गिरफ्तार कर लिया गया है। फिलहाल जांच और पूछताछ चल रही है ताकि अवैध तौर पर भारी मात्रा में इतना जहरीला केमिकल बनाने के पीछे का उद्देश्य क्या है।

भारत में पहला मामला : हालांकि अभी तक यह पता नहीं चल पाया है कि इस रसायन को तैयार किए जाने के पीछे कारण क्या हैं। एजेंसियां इस बात का भी पता लगाने की कोशिश कर रही हैं कि आखिर कैसे 4ANPP रसायन को यहां लाया गया और इससे फेंटानिल बनाया गया। इससे पहले चीन से इस रसायन की भारत में तस्करी का मामला सामने आया था। 
 
चीन, रूस और इसराइल ने किया इस्तेमाल : हथियार के तौर पर इस्तेमाल मेडिकल के क्षेत्र में फेंटानिल का इस्तेमाल इंजेक्शन के तौर पर त्वचा के दाग मिटाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। इस खतरनाक रसायन को कई साल पहले तलाशा गया था। इस रसायन को गन के आगे कपड़े पर भिगाकर इस्तेमाल करने के लिए तैयार किया गया था। इस हथियार का इस्तेमाल चीन, रूस और इसराइल ने किया है।

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