नई दिल्ली। कुख्यात अपराधी विकास दुबे के शुक्रवार को कानपुर के पास पुलिस के साथ मुठभेड़ में मारे जाने से कुछ घंटे पहले उच्चतम न्यायालय में एक याचिका दाखिल कर उत्तरप्रदेश सरकार और पुलिस को उसकी जान की हिफाजत करने का निर्देश देने की मांग की गई थी, साथ ही यह सुनिश्चित करने की भी मांग की गई थी कि वह पुलिस के हाथों न मारा जाए।
पुलिस के मुताबिक दुबे शुक्रवार सुबह उस समय मुठभेड़ में मारा गया, जब उज्जैन से उसे लेकर कानपुर आ रही पुलिस की एक गाड़ी भऊती इलाके में दुर्घटनाग्रस्त हो गई और उसने मौके से भाग जाने की कोशिश की। कानपुर रेंज के पुलिस महानिरीक्षक मोहित अग्रवाल ने बताया कि दुर्घटना में नवाबगंज थाने के एक निरीक्षक समेत 4 पुलिसकर्मी जख्मी हो गए।
वकील घनश्याम उपाध्याय की ओर से शीर्ष अदालत में दाखिल याचिका में मीडिया में आई खबरों का हवाला देते हुए दावा किया गया है कि पुलिस द्वारा इन 5 सहआरोपियों की मुठभेड़ में हत्या न केवल अत्यंत गैरकानूनी और अमानवीय है बल्कि अदालत की अंतरात्मा को भी झकझोरने वाली है और यह देश का तालिबानीकरण है जिसको बिलकुल स्वीकार नहीं किया जा सकता।
उपाध्याय ने बताया कि मैंने देर रात 2 बजे इलेक्ट्रॉनिक तरीके से याचिका दाखिल की थी। याचिका में दुबे के घर, वाहनों और अन्य संपत्तियों को ढहाने और तोड़ने के संबंध में भी प्राथमिकी दर्ज करने का उत्तरप्रदेश सरकार और पुलिस को निर्देश देने की मांग की गई थी। (भाषा)