नई दिल्ली। राज्यसभा में सदन के नेता पीयूष गोयल ने मंगलवार को कहा कि 12 विपक्षी सदस्यों के निलंबन के मुद्दे पर सरकार बातचीत के लिए तैयार है और इसे लेकर सदन के सभापति पर लगाए गए विपक्ष के आरोप बेबुनियाद हैं। भोजनावकाश के बाद उपसभापति हरिवंश ने सदन की कार्यवाही शुरू की तो गोयल ने कहा कि विपक्ष के नेता 12 विपक्षी सदस्यों के निलंबन को लेकर सभापति पर बेबुनियाद आरोप लग रहे है। सदस्यों को निलंबित करने का निर्णय सदन का है। सभापति ने अपने विशेषाधिकारों का प्रयोग करते हुए सदस्यों को निलंबित किया है।
गोयल ने कहा कि इसके बावजूद सरकार यह मानती है कि गलती हो जाती है। सरकार विपक्ष का साथ चाहती है लेकिन इसके लिए निलंबित सदस्यों को माफी मांगनी होगी और सदन के सुचारु संचालन का आश्वासन देना होगा। सरकार निलंबन के मुद्दे पर चर्चा के लिए तैयार है। इससे पूर्व उन्होंने सदन के पिछले सत्र के दौरान विभिन्न घटनाओं का सिलेसिलेवार ब्योरा देते हुए कहा कि सभापति पर आरोप लगाना खेदजनक है। सदस्यों के व्यवहार से सदन और सभापति की मर्यादा तथा गरिमा कम हुई है। इसके लिए उन्हें सदन और देश से माफी मांगनी चाहिए।
सदस्यों ने न केवल सदन की गरिमा भंग की बल्कि सुरक्षाकर्मियों, सहायक कर्मियों, राज्यसभा सचिवालय के कर्मचारियों के साथ बदसलूकी की और उन पर हमला किया। इससे एक महिला कर्मचारी घायल तक हो गई। इन सदस्यों ने सत्तापक्ष के सदस्यों पर हमला करने तक का प्रयास किया। सदन के नेता और संसदीय कार्यमंत्री को सदन में प्रवेश नहीं करने दिया।
गोयल ने कहा कि इस सदस्यों ने प्रधानमंत्री को अपना संवैधानिक दायित्व पूरा करने से रोका और उन्हें सदन में नए मंत्रियों का परिचय नहीं कराने दिया गया। उन्होंने आरोप लगाया कि विपक्ष को आदिवासी समाज से मंत्री बनना पचा नहीं। नए मंत्रियों में से अधिकतर पूर्वांचल और आदिवासी क्षेत्र से थे। मणिपुर का कोई व्यक्ति पहली केंद्रीय मंत्रि परिषद में शामिल हुआ है। उन्होंने कहा कि एक विपक्षी सदस्य ने सदन में की गई हरकतों का वीडियो बना लिया और यू-टयूब पर डाल दिया। इस पर हरिवंश ने कहा कि विपक्षी सदस्यों के निलंबन पर सभापति ने पक्ष और विपक्ष के बीच बातचीत करने का परामर्श दिया है। दोनों पक्षों को इस दिशा में बढ़ना चाहिए।