राहुल बोले, प्रधानमंत्री मोदी के वादे राजनीतिक ड्रामेबाजी...
शनिवार, 17 मार्च 2018 (21:28 IST)
नई दिल्ली। कांग्रेस ने शनिवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि 2014 के आम चुनाव में 'सबका साथ, सबका विकास' और 'न खाऊंगा और न खाने दूंगा' का उनका नारा दरअसल सत्ता हथियाने के लिए की गई 'राजनीतिक ड्रामेबाजी' थी।
साथ ही पार्टी ने यह भी स्पष्ट कर दिया कि अगले लोकसभा चुनाव में भाजपा को शिकस्त देने के लिए उसे समान विचारों वाली पार्टियों से हाथ मिलाने में कोई गुरेज नहीं होगा। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की अगुवाई में आज यहां इंदिरा गांधी इंडोर स्टेडियम में पार्टी के 84वें महाधिवेशन के पहले दिन पार्टी ने प्रधानमंत्री मोदी और उनकी सरकार पर तीखा हमला बोलकर संकेत दिया कि वह आगामी चुनाव में भाजपा को सत्ता से बाहर रखने के लिए ‘कोई भी बलिदान’ देने को तैयार है। साथ ही विपक्षी दलों को स्पष्ट संदेश कि उनके साथ सहयोग करने के लिए वे साझा व्यावहारिक गठबंधन करने को तैयार हैं।
राहुल की अगुवाई में पहली बार हो रहे पार्टी महाधिवेशन में उन्होंने अपने दल के नेताओं एवं कार्यकताओं के माध्यम से देश को यह संदेश दिया कि अकेले कांग्रेस ही ‘देश को दिशा दे सकती है।’ उन्होंने सत्तारुढ़ भाजपा का नाम लिए बिना उस पर देश में गुस्सा फैलाने तथा युवाओं एवं किसानों को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की तरफ से कोई दिशा नहीं मिल पाने का आरोप लगाया।
उन्होंने कहा, 'देश में गुस्सा फैलाया जा रहा है। देश को बांटा जा रहा है। हिन्दुस्तान के एक व्यक्ति को दूसरे व्यक्ति से लड़ाया जा रहा है।' उन्होंने कहा कि हमारा काम जोड़ने का है। यह हाथ का निशान (कांग्रेस का चुनाव चिन्ह) ही देश को जोड़ सकता है। देश को आगे ले जा सकता है। उन्होंने कहा कि महाधिवेशन का लक्ष्य कांग्रेस और देश को आगे का रास्ता दिखाने का है। उन्होंने युवाओं के मुद्दे को लेकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर हमला बोलते हुए कहा, 'युवा जब मोदीजी की ओर देखता है तो उन्हें रास्ता नहीं दिखता। उन्हें यह बात समझ नहीं आती कि उन्हें रोजगार कहां से मिलेगा? किसानों को सही दाम कब मिलेगा? तो देश एक प्रकार से थका हुआ है। रास्ता ढूंढ रहा है।'
राहुल ने महाधिवेशन में भाग ले रही संप्रग अध्यक्ष सोनिया गांधी, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम, पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिन्दर सिंह आदि का नाम लेते हुए कहा कि इन नेताओं ने कांग्रेस की लड़ाई लड़ी। इसके लिए उन्होंने इन नेताओं का आभार व्यक्त किया। महाधिवेशन में संप्रग अध्यक्ष ने आज मोदी सरकार और भाजपा को लेकर तीखे हमले किए। उन्होंने इसके साथ ही कहा कि 2014 का 'सबका साथ, सबका विकास' और 'न खाऊंगा और न खाने दूंगा' का उसका नारा दरअसल सत्ता हथियाने के लिए की गई 'राजनीतिक ड्रामेबाजी' थी।
उन्होंने कहा, 'पिछले चार साल में कांग्रेस को तबाह करने के लिए अहंकार और सत्ता के मद में चूर सरकार ने कोई कसर बाकी नहीं रखी। साम—दाम—दंड—भेद का खुला खेल चल रहा है। लेकिन सत्ता के अहंकार के आगे कांग्रेस न तो कभी झुकी है और न कभी झुकेगी।' उन्होंने कहा, 'मोदी सरकार के तानाशाहीपूर्ण तौर-तरीकों, और संविधान की उपेक्षा, उनकी अहंकारी विचारधारा, विपक्ष के खिलाफ गंभीर मुकदमे लगाना और मीडिया को सताना जैसे षड्यंत्रों का पर्दाफाश करने में कांग्रेस आगे रहकर संघर्ष कर रही है।' उन्होंने कहा कि मोदी की सरकार और उनके सहयोगियों के भ्रष्टाचार को हम सबूतों के साथ उजागर कर रहे हैं।
सोनिया ने कहा, 'आप समझ रहे हैं कि 2014 के ‘सब का साथ सबका विकास’ और ‘मै न खाउंगा न खाने दूंगा’ जैसे उनके वादे सिर्फ और सिर्फ ड्रामेबाजी और वोट हथियाने की चाल थी।' उन्होंने कहा कि जिन राज्यों में कांग्रेस सत्ता में नहीं है वहां पार्टी के कार्यकर्ता हर परेशानी और मुसीबत झेल कर राज्य सरकारों के अपराधों को उजागर करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी अन्याय के खिलाफ आवाज उठाती है और संघर्ष करती है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष और हमारे सामने जो चुनौतियां हैं उनका हमें डटकर मुकाबला करना होगा।
उन्होंने कहा कि हमें ऐसा भारत बनाना होगा जो सत्ता के भय और मनमानी से मुक्त हो, जिसमें हर व्यक्ति के जीवन की गरिमा बनी रहे। भ्रष्टाचार मुक्त भारत। प्रतिशोध—पक्षपात मुक्त भारत। इसके लिए हर कांग्रेसजन को एक-एक बलिदान देने के लिए तैयार रहना चाहिए। सोनिया ने उम्मीद जताई कि कुछ माह बाद कर्नाटक विधानसभा में हमारी पार्टी का इतना शानदार प्रदर्शन हो कि वह फिर से देश की राजनीतिक दिशा तय करे। सोनिया ने संप्रग सरकार के दौरान बनाए गए मनरेगा, शिक्षा का अधिकार, भोजन का अधिकार सहित विभिन्न कानूनों एवं कार्यक्रमों का जिक्र करते हुए कहा कि उन्हें यह देखकर दुख और गहरा अफसोस होता है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार इन कार्यक्रमों को कमजोर कर रही है। इनकी अनदेखी कर रही है।
महाधिवेशन में आज लोकसभा में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने पार्टी का राजनीतिक प्रस्ताव पेश किया। इसमें पार्टी ने 2019 के आम चुनाव में भाजपा को हराने के लिए आज अपनी रणनीति का खुलासा करते हुए कहा कि वह सभी समान विचारधारा वाले दलों के साथ सहयोग करने के लिए 'साझा व्यावहारिक कार्य प्रणली विकसित' करेगी। दो दिवसीय महाधिवेशन में इस प्रस्ताव पर विस्तृत विचार-विमर्श कर इसे अपनाया जाएगा। इस प्रस्ताव को बहुत महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि इसी के माध्यम से पार्टी लोकसभा सहित अगले चुनावों में अन्य विपक्षी दलों के साथ गठबंधन करने की अपनी दिशा निर्धारित करेगी।
प्रस्ताव में कहा गया, 'आज हमारे संवैधानिक मूल्यों की बुनियाद पर खतरा पैदा हो गया है। हमारी आजादी खतरे में है। हमारे संस्थानों पर भारी दबाव है और उनकी आजादी से समझौता हो रहा है। हमें अपने गणराज्य को हर कीमत पर बचाना होगा।' पार्टी ने इसमें कहा, 'हमारे संविधान के मूल चरित्र की रक्षा के लिए जिस प्रकार के बलिदान की जरूरत होगी, उसे देने के लिए कांग्रेस पार्टी पूरी तरह से तैयार है। हम भाजपा राज के दौरान पतन के कगार पर पहुंच चुकी इस राजनीति की सफाई करेंगे, जो भारत के लोगों से की गई अपनी प्रतिबद्धताओं को निभाने में नाकाम रही है।'
प्रस्ताव में कांग्रेस ने आगाह किया कि एक साथ चुनाव करवाए जाने के गंभीर परिणाम होंगे। पार्टी ने अपने इस प्रस्ताव में चुनाव प्रक्रिया को लेकर भी कुछ आशंकाएं व्यक्त की हैं। इसमें कहा गया, 'जनमत के विपरीत परिणामों में हेराफेरी करने के लिए ईवीएम के दुरुपयोग को लेकर राजनीतिक दलों एवं आम लोगों के मन में भारी आशंका है।' प्रस्ताव में कहा गया कि निर्वाचन प्रक्रिया की विश्वसनीयता सुनिश्चित करने के लिए चुनाव आयोग को मतपत्र के पुराने तरीके को फिर से लागू करना चाहिए, क्योंकि अधिकतर दलों एवं आम लोगों के मन में भारी आशंकाएं हैं।
कांग्रेस पार्टी ने इस प्रस्ताव के जरिए न्यायिक प्रणाली में तुरंत सुधारों की जरूरत पर भी बल दिया है। इसमें दलबदल को लेकर भी चिंता जताई गई है। इसमें कहा गया है कि पार्टी राजनीतिक स्थिरता कायम करने के लिए धनबल के खुलेआम दुरुपयोग पर रोक लगाकर दल बदलुओं को छह साल के लिए किसी भी चुनाव से लड़ने से वंचित करेगी। प्रस्ताव में महिला सशक्तीकरण, सामाजिक न्याय, दलितों, आदिवासियों और अल्पसंख्यकों पर अत्याचार, आरएसएस-भाजपा, भ्रष्टाचार, आंतरिक एवं बाह्य सुरक्षा तथा आंध्र प्रदेश एवं मीडिया के मुद्दों पर भी चर्चा की गई।
हाधिवेशन में राहुल, सोनिया के अलावा पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, खड़गे, राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद, वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम, मोतीलाल वोरा, कमलनाथ, सुशील शिंदे, शिवराज पाटिल सहित अधिकतर सभी प्रमुख नेता, कांग्रेस प्रदेश समितियों के अध्यक्ष तथा देशभर के हजारों पार्टी कार्यकर्ता एवं एआईसीसी डेलीगेट्स मौजूद थे। महाधिवेशन में प्रियंका गांधी भी दिखाई दीं।
इस दौरान पार्टी नेता एवं पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिन्दर सिंह ने कृषि के बारे में एक प्रस्ताव रखा जिसे बाद में सर्वसम्मति से स्वीकार कर लिया गया। इसमें कांग्रेस ने मोदी सरकार के काल में कृषि क्षेत्र की विकास दर घटकर आधी हो जाने का आरोप लगाया और दावा किया कि साल 2022 तक किसानों की आमदनी दोगुना करने की बात एक बार फिर से किसानों को ठगने की कोशिश है।
प्रस्ताव में कहा गया, किसानों से किए गए वादे पूरे करने में नाकाम रही भाजपा सरकार अब वर्ष 2022 तक किसानों की आमदनी दोगुनी करने का खोखला दावा करके किसानों को फिर से ठगने की कोशिश कर रही है। कांग्रेस ने आरोप लगाया, 'वर्तमान सरकार द्वारा शुरू की गई फसल बीमा योजना ने किसानों की बजाय निजी बीमा कम्पनियों को भारी फायदा पहुंचाया है। इसके जरिए बीमा प्रीमियम के नाम पर किसानों से बिना पूछे ही उनके बैंक खातों से जबरन पैसे काटे जा रहे हैं।'
विपक्षी पार्टी ने भाजपा सरकार पर हर साल दो करोड़ रोजगार मुहैया कराने के वादे को पूरा करने में बुरी तरह विफल रहने का आरोप लगाया और कहा कि बेरोजगारी की मौजूदा स्थिति चिंताजनक है। प्रस्ताव में कहा गया है, स्किल इंडिया के तहत युवा प्रशिक्षण पाने वालों में से सिर्फ 10 प्रतिशत युवाओं को ही रोजगार मिल सका है। कांग्रेस पार्टी युवाओं को रोजगार के हिसाब से तैयार करने के लिए प्रशिक्षण और उद्योगों के बीच सामंजस्य बिठाने पर विशेष ध्यान देगी। महाधिवेशन के दौरान इन दोनों प्रस्तावों पर जहां विभिन्न नेताओं ने अपने विचार रखें, वही मीडिया की भूमिका को लेकर सच की ताकत विषय पर एक पैनल चर्चा भी हुई।
इस चर्चा में भाग लेते हुए वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल, पार्टी के मीडिया विभाग के प्रमुख रणदीप सुरजेवाला, प्रवक्ता राजीव गौड़ा, वरिष्ठ पत्रकार मृणाल पांडेय एवं कुमार केतकर तथा पार्टी के सोशल मीडिया विभाग की प्रमुख दिव्या स्पन्दन ने कहा कि मीडिया की कुछ खबरों में सच को तोड़-मरोड़कर पेश करने का चलन बढ़ रहा है। कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने महाधिवेशन को संबोधित करते हुए कहा कि एक राष्ट्र के तौर पर भारत की अवधारणा में किसी एक धर्म, भाषा या संस्कृति की प्रधानता नहीं है, बल्कि यह बहुसांस्कृतिकता से जुड़ी हुई है।
उन्होंने भाजपा पर निशाना साधा और आरोप लगाया कि हिंदूवादी ताकतें वैचारिक रूप से यूरोप खासकर जर्मनी और इटली के फासीवादी विचारकों से प्रभावित हैं। कांग्रेस ने एक भाषा और संस्कृति को प्रमुखता देने वाले राष्ट्र की यूरोपीय अवधारणा को खारिज किया था। एक राष्ट्र के तौर पर भारत की अवधारणा का मतलब सभी लोगों के साथ एक समान व्यवहार करना, सभी धर्मों और संस्कृतियों का सम्मान करना है। (भाषा)