नई दिल्ली। चौंकिए मत, भारतीय रेलवे को करीब 3,350 ट्रक गोबर की आवश्यकता है और इसके लिए वह करीब 42 करोड़ खर्च करने की तैयारी में है। यह गोबर रेलवे की स्वच्छता मुहिम का हिस्सा है और इसे ट्रेनों में इस्तेमाल किया जाएगा।
रेलवे की स्वच्छता की मुहिम के मद्देनजर ट्रेनों के कोचों में बायो टॉयलेट लगाने की योजना है। ये टॉयलेट दिसंबर 2018 तक सभी ट्रेनों के कोचों में लगाए जाने हैं। इस बायो टॉयलेट टैंक में गाय के गोबर के इस्तेमाल से बनाया गया घोल डाला जा रहा है, जिसे रेलवे अभी डिफेंस रिसर्च डेवलपमेंट इस्टेब्लिशमेंट (डीआरडीई) ग्वालियर से 19 रुपए प्रति लीटर की दर से खरीद रहा है।
इस योजना के लिए रेलवे को 3,350 ट्रक गोबर की जरूरत पड़ेगी जिसकी कीमत 42 करोड़ बताई जा रही है। विदित हो कि बायो टॉयलेट में इनोकुलुम नाम का घोल इस्तेमाल किया जाता है। डीआरडीई इसे तैयार कर रेलवे को देता है। घोल को तैयार करने के लिए उसमें गाय का गोबर मिलाया जाता है।
ग्वालियर स्थित डीआरडीई अभी तक 15 अधिकृत वेंडरों से गाय का गोबर लेती है। यह गोबर, वेंडर गोशाला और जिनके पास ज्यादा गाय हैं, उनसे खरीदा जाता है। चूंकि साल के अंत तक सभी ट्रेनों में बायो टॉयलेट लगेंगे, ऐसे में डीआरडीई को बड़े पैमाने पर गोबर की जरूरत पड़ेगी।