प्रसाद ने लोकसभा में एक पूरक प्रश्न के जवाब में कहा कि पीआईएल का इस्तेमाल भ्रष्टाचार मिटाने तथा गरीबों के हित में किया जाता है तो वह इसका समर्थन करते हैं लेकिन यदि इसका प्रयोग कानून बनाने बनाने की प्रक्रिया में दखल देने के मकसद से किया जाता है तो वह इसका समर्थन नहीं करते। कानून बनाना संसद का काम है और यह कार्य उसी पर ही छोड़ दिया जाना चाहिए।
न्यायपालिका की आजादी पर सरकार की प्रतिबद्धता व्यक्त करते हुए प्रसाद ने कहा कि न्यायपालिका सबसे ऊपर है और उनकी सरकार इसकी आजादी की प्रबल पक्षधर है। न्यायालयों में लम्बित मामलों के जल्दी निपटान से संबंधित सवाल पर उन्होंने कहा कि इसके लिए 2015 में मुख्य मंत्रियों तथा उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों का एक सम्मेलन आयोजित किया गया था जिसमें कहा गया था कि लम्बित मामलों और खासकर पांच साल से ज्यादा समय से चल रहे मामलों के निपटान के लिए समितियों का गठन किया जाएगा।
प्रसाद ने कहा कि इस फैसले पर किस गति से काम हुआ है और किस तरह की दिक्कतें आ रही हैं यह देखने के लिए 2016 में फिर मुख्य न्यायाधीशों का सम्मेलन आयोजित किया गया था। कानून मंत्री ने कहा कि उन्होंने सभी मुख्य न्यायाधीशों को पांच साल से पुराने आपराघिक मामलों के निपटाने को प्राथमिकता देने के संबंध में पत्र लिख है। इन मामलों के जल्द निपटान के लिए 21 हजार 153 कानून कक्ष बनाए जाएंगे। उन्होंने यह भी बताया कि 1400 से पुराने और निष्क्रिय कानूनों को समाप्त किया गया है। (वार्ता)