रिपोर्ट के मुताबिक भारतीय कॉर्पोरेट जगत 9.5 प्रतिशत की वेतनवृद्धि के साथ समूचे क्षेत्र में सबसे आगे है। वियतनाम (7.6 प्रतिशत), इंडोनेशिया (6.5 प्रतिशत), फिलीपीन्स (5.6 प्रतिशत), चीन (5 प्रतिशत) और थाईलैंड (5 प्रतिशत) के भारत से पीछे ही रहने के अनुमान हैं।
डब्ल्यूटीडब्ल्यू इंडिया में सलाहकार प्रमुख (कार्य एवं पारिश्रमिक) राजुल माथुर ने कहा कि भारत में कंपनियां वृद्धि को लेकर आशावादी होने के साथ सतर्कता भी दिखा रही हैं। बड़े पैमाने पर इस्तीफों का दौर अब पीछे छूट चुका है। अब नियोक्ता एवं कर्मचारी दोनों ही स्थिरता चाहते हैं और बाजार की धारणा उल्लेखनीय रूप से स्थिर है।
माथुर ने कहा कि संगठन प्रदर्शन-आधारित वेतन विभेद पर अधिक जोर दे रहे हैं। इस प्रवृत्ति के अनुसार शीर्ष प्रदर्शन करने वालों को औसत प्रदर्शन वाले कर्मचारियों की तुलना में 3 गुना वेतनवृद्धि मिलने की संभावना है, जबकि औसत से बेहतर कर्मचारियों को औसत प्रदर्शन करने वालों की तुलना में लगभग 1.2 गुना वेतनवृद्धि मिलने की उम्मीद है।
रिपोर्ट कहती है कि लगभग 28 प्रतिशत कंपनियां अगले 12 महीनों में नई भर्तियां करने की योजना बना रही हैं। हालांकि कर्मचारियों के स्वेच्छा से नौकरी छोड़ने की दर इस क्षेत्र में ऊंचे स्तर पर बनी हुई है। भारत में नौकरी छोड़ने की दर 2024 में 10.8 प्रतिशत हो गई है, जो 2023 में 11 प्रतिशत थी। इसके अलावा भारत में लगभग 46 प्रतिशत कंपनियों को उम्मीद है कि 2025 के लिए उनका वेतन बढ़ोतरी का बजट 2024 के समान ही होगे जबकि 28 प्रतिशत कंपनियों ने बजट अनुमान से कम होने की संभावना जताई है।(भाषा)