रिपोर्ट के मुताबिक राष्ट्रीय राजधानी के करीब 50 प्रतिशत रेहड़ी-पटरी वालों ने बताया कि अप्रैल और मई के महीने में भीषण गर्मी के दिनों में उनकी आय में भारी कमी आई। इस अध्ययन में 721 रेहड़ी-पटरी वाले शामिल हुए। यह अध्ययन अप्रैल और मई में दिल्ली के विभिन्न स्थानों पर किया गया, जिसमें मीना बाजार, पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन क्षेत्र, लाल किला क्षेत्र, नेहरू प्लेस, गुरु तेग बहादुर नगर, करोल बाग, इंडिया गेट, जनपथ, चांदनी चौक, सदर बाजार रोड, साकेत, सरोजिनी मार्केट आदि शामिल थे।
राष्ट्रीय हॉकर फेडरेशन दिल्ली के संयोजक संदीप वर्मा ने कहा, इस अध्ययन में शामिल हुए 700 से अधिक रेहड़ी-पटरी वालों से प्राप्त सूचनाओं और आंकड़ों के आधार पर उनके स्वास्थ्य, उत्पादकता और आजीविका पर पड़ने वाले विनाशकारी प्रभाव का पता चलता है। हम सरकार से तत्काल हस्तक्षेप करने की मांग करते हैं, जिसमें बाजारों में आवश्यक सुविधाएं और सुरक्षा किट उपलब्ध कराना तथा वंचित तबके के लोगों के लिए संस्थागत सहायता के साथ गर्मी से बचने के लिए आश्रय स्थापित करना भी शामिल है।
'ग्रीनपीस इंडिया' और 'नेशनल हॉकर फेडरेशन' की रिपोर्ट के मुताबिक, दिल्ली में 80.08 प्रतिशत रेहड़ी-पटरी वालों ने कहा कि भीषण गर्मी के दौरान ग्राहकों की संख्या में गिरावट आई। करीब 49.27 प्रतिशत रेहड़ी-पटरी वालों को जलवायु संबंधी इन परिस्थितियों के कारण आय में कमी का सामना करना पड़ रहा है।
रिपोर्ट के मुताबिक अध्ययन में शामिल होने वाले कई लोगों ने कहा कि भीषण गर्मी के कारण उन्हें स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ा। सबसे आम समस्या चिड़चिड़ापन थी, जिससे 73.44 प्रतिशत लोगों को परेशानी हुई, इसके बाद सिरदर्द (66.93 प्रतिशत), निर्जलीकरण (67.46 प्रतिशत), सनबर्न (66.53 प्रतिशत), थकान (60.82 प्रतिशत) और मांसपेशियों में ऐंठन (57.37 प्रतिशत) की समस्या रही।
आठ में से सात रेहड़ी-पटरी वाली महिलाओं ने उच्च रक्तचाप की शिकायत की, जबकि मध्यम आयु वर्ग की महिलाओं ने अत्यधिक गर्मी के कारण मासिक धर्म चक्र में देरी को लेकर चिंता जताई। अध्ययन में भाग लेने वाली सभी महिलाओं ने बताया कि बढ़ती गर्मी के कारण रात में नींद न आना काफी आम बात हो गई है, जिसके कारण दिनभर वह थकान महसूस करती हैं।
गन्ने का रस निकालने वाली मशीन चलाने वाली गुड्डी ने भीषण गर्मी के कारण होने वाली अपनी परेशानियों के बारे में कहा, पूरे दिन सूरज की गर्मी में रहने के बाद, मुझे रात को खाना खाने का मन नहीं करता। मैं बस यही सोचती रहती हूं कि अपने पैर फैला लूं और सो जाऊं। (भाषा)
Edited By : Chetan Gour