बुच ने यह बात ऐसे समय में कही है जब अमेरिकी निवेश एवं शोध कंपनी हिंडनबर्ग ने अपनी एक रिपोर्ट में उनके और निजी इक्विटी क्षेत्र की कंपनी ब्लैकस्टोन से जुड़े संभावित हितों के टकराव के बारे में सवाल उठाए हैं। उनके पति धवल बुच ब्लैकस्टोन में वरिष्ठ सलाहकार हैं, जो रीट क्षेत्र की एक प्रमुख कंपनी है। हालांकि दंपति ने आरोपों का खंडन किया है।
इसके अलावा हिंडनबर्ग ने आरोप लगाया था कि रीट विनियम 2014 में सेबी के हालिया संशोधनों से एक विशिष्ट वित्तीय समूह को लाभ पहुंचा है। सेबी ने इन आरोपों को खारिज किया है। सेबी की प्रमुख बुच ने सोमवार को भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के एक कार्यक्रम में कहा, यदि मैं रीट पर एक शब्द भी कहूंगी तो मुझ पर हितों के टकराव का आरोप लगा दिया जाएगा।
रीट भारतीय बाजार में एक नई अवधारणा है। अपने आकर्षक रिटर्न तथा पूंजी वृद्धि के कारण यह विश्व स्तर पर एक लोकप्रिय विकल्प रहा है। रीट वाणिज्यिक अचल संपत्ति परिसंपत्तियों के खंड से बना होता है, जिनमें से अधिकतर पहले से ही पट्टे पर दी गई होती हैं।
इस बीच, कांग्रेस ने बुच के खिलाफ हितों के टकराव के नए आरोप लगाते हुए सोमवार को दावा किया कि वह इस बाजार नियामक की पूर्णकालिक सदस्य होते हुए भी आईसीआईसीआई बैंक से नियमित वेतन ले रही थीं। कांग्रेस के मीडिया एवं प्रचार विभाग के प्रमुख पवन खेड़ा ने कहा कि बुच पांच अप्रैल, 2017 से चार अक्टूबर, 2021 तक सेबी की पूर्णकालिक सदस्य थीं और दो मार्च, 2022 से इसकी चेयरपर्सन हैं।
उन्होंने कहा, माधबी पुरी बुच सेबी की पूर्णकालिक सदस्य होते हुए नियमित वेतन आईसीआईसीआई बैंक से ले रही थीं, जो कि 16.80 करोड़ रुपए बैठता है। वह आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल, ईएसओपी और ईएसओपी का टीडीएस भी बैंक से ले रही थीं। सेबी ने हालांकि कांग्रेस के आरोपों पर अभी तक कोई टिप्पणी नहीं की है। (भाषा)
Edited By : Chetan Gour