शिवसेना के मुखपत्र ‘सामना’ के एक संपादकीय में कहा गया कि जब स्थिति ऐसे मोड़ पर पहुंच जाए जहां, आपको अपने ही देश के छात्रों पर गोलियां चलानी पड़ें तो यह समझ जाना चाहिए कि चीजें नियंत्रण से निकल चुकी हैं। संपादकीय में संशोधित नागरिकता कानून के खिलाफ प्रदर्शन के लिए पाकिस्तान को दोष देने को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भी आलोचना की गई।
‘सामना’ में प्रकाशित संपादकीय में कहा गया, दिल्ली में प्रदर्शन कर रहे छात्रों के खिलाफ पुलिस कार्रवाई अवैध एवं अमानवीय थी। अंग्रेजों ने जलियांवाला बाग में इससे कुछ अलग नहीं किया था। पार्टी ने पूछा कि क्या भाजपा के पास 1984 के सिख विरोधी दंगों पर बोलने का नैतिक आधार बचता है?
महाराष्ट्र में नए नागरिकता कानून को लागू करने की भाजपा की मांग का मजाक उड़ाते हुए शिवसेना ने कहा कि यह और कुछ नहीं बल्कि राज्य में सत्ता जाने का 'मानसिक तनाव' है। पार्टी ने कहा कि लोगों के सामने और भी कई जरूरी मुद्दे हैं और हम उन्हें सुलझाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। हमें सीएए से ज्यादा महाराष्ट्र के करीब 11 करोड़ नागरिकों की चिंता है।