न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति उज्जल भूइयां की पीठ ने एक समिति गठित करने के वास्ते गैर-राजनीतिक नाम सुझाने के लिए पंजाब और हरियाणा सरकारों की भी सराहना की। यह समिति प्रदर्शनकारी किसानों के साथ बैठकें करेगी। पीठ ने कहा कि एम्बुलेंस, आवश्यक सेवाओं, वरिष्ठ नागरिकों, महिलाओं, छात्र-छात्राओं और आसपास के इलाकों के स्थानीय लोगों की आवाजाही के लिए शंभू बॉर्डर पर सड़क को आंशिक रूप से खोलने की आवश्यकता है।
पीठ ने कहा कि हम शंभू बॉर्डर पर प्रदर्शनकारी किसानों से बातचीत करने के लिए गठित की जाने वाली समिति की शर्तों पर संक्षिप्त आदेश पारित करेंगे। उच्चतम न्यायालय ने पहले पंजाब और हरियाणा सरकारों से कहा था कि वे न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) सहित अन्य मांगों को लेकर शंभू बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे किसानों से संपर्क करने के लिए एक स्वतंत्र समिति गठित करने के वास्ते कुछ तटस्थ व्यक्तियों के नाम सुझाएं। न्यायालय ने कहा था कि किसी को भी स्थिति को बिगाड़ना नहीं चाहिए।
शीर्ष अदालत पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के उस आदेश को चुनौती देने वाली हरियाणा सरकार की याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें राज्य सरकार को 1 सप्ताह के भीतर अंबाला के पास शंभू बॉर्डर पर अवरोधक हटाने के लिए कहा गया था, जहां प्रदर्शनकारी किसान 13 फरवरी से डेरा डाले हुए हैं।