Orphan children case in Supreme Court: उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) ने बुधवार को सभी राज्यों को ऐसे अनाथ बच्चों (Orphan children) का सर्वेक्षण करने का निर्देश दिया, जो 'बच्चों के मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा के अधिकार अधिनियम, 2009' के तहत शिक्षा से वंचित हैं। न्यायमूर्ति बी.वी. नागरत्ना और न्यायमूर्ति के.वी. विश्वनाथन की पीठ ने केंद्र से 2027 में होने वाली आगामी जनगणना में ऐसे बच्चों के आंकड़ों को शामिल करने पर विचार करने को कहा। शीर्ष अदालत देखभाल और संरक्षण की जरूरत वाले अनाथ बच्चों के लिए चिंता जताने वाली एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी। यूनिसेफ (UNICEF) के अनुमान के अनुसार भारत में 2.5 करोड़ अनाथ बच्चे हैं।
शिक्षा के अधिकार से वंचित अनाथ बच्चों का सर्वेक्षण करना होगा : शीर्ष अदालत ने कहा कि राज्यों को उन अनाथ बच्चों का सर्वेक्षण करना होगा जिन्हें अधिनियम के प्रावधानों के तहत पहले ही प्रवेश दिया जा चुका है, साथ ही उन बच्चों का भी सर्वेक्षण करना होगा, जो अधिनियम के तहत मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा के अधिकार से वंचित हैं। राज्यों को इस संबंध में हलफनामा दाखिल करना होगा। सर्वेक्षण और डेटा संग्रह जारी रखने के साथ ही पीठ ने यह भी सुनिश्चित करने को कहा कि योग्य बच्चों को पड़ोस के स्कूलों में प्रवेश मिले। पीठ ने निर्देशों का पालन करने के लिए प्राधिकारियों को 4 सप्ताह का समय दिया।
मेहता ने कहा कि ऐसा होना चाहिए। मैं इस मामले को उठाऊंगा, क्योंकि अनाथ बच्चे हमारी जिम्मेदारी हैं। जब याचिकाकर्ता ने कहा कि केंद्र को याचिका में उठाए गए पहलुओं पर विस्तृत हलफनामा दाखिल करने के लिए कहा जाना चाहिए, तो पीठ ने कहा कि वह सभी मुद्दों पर विचार करेगी। पीठ ने कहा कि सभी उच्च न्यायालयों में किशोर न्याय समितियां हैं और इन मुद्दों पर राष्ट्रीय स्तर पर विचार-विमर्श भी हो रहा है। पीठ ने कहा कि तो अब स्थिति उतनी बुरी नहीं है जितनी पहले थी, बल्कि सकारात्मक चीजें भी हो रही हैं।
याचिकाकर्ता ने दलील दी कि भारत कमजोर वर्गों के बच्चों को छात्रवृत्ति, आरक्षण, नौकरी, ऋण आदि जैसे ढेरों समर्थन और अवसर प्रदान करता है, लेकिन अनाथ बच्चों के लिए कुछ भी नहीं है। उन्होंने कहा कि यूनिसेफ के अनुमान के अनुसार भारत में 2.5 करोड़ अनाथ बच्चे हैं।(भाषा)