नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) ने सोमवार को कहा कि शरद पवार (Sharad Pawar) के समूह को पार्टी का नाम 'राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी-शरदचंद्र पवार' देने का निर्वाचन आयोग का 7 फरवरी का फैसला अगले आदेश तक जारी रहेगा। न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति के. वी. विश्वनाथन की पीठ ने महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार के नेतृत्व वाले समूह को असली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) घोषित करने के आयोग के 6 फरवरी के आदेश के खिलाफ शरद पवार की याचिका पर अजित पवार के नेतृत्व वाले गुट से जवाब मांगा।
पीठ ने अजित पवार के नेतृत्व वाले गुट को नोटिस जारी करते हुए कहा कि हम मामले पर गौर करेंगे। पीठ ने शरद पवार को पार्टी चिन्ह के आवंटन के लिए निर्वाचन आयोग का रुख करने की अनुमति दी और आयोग को आवेदन के एक सप्ताह के अंदर समूह को चुनाव चिन्ह आवंटित करने का निर्देश दिया।
आयोग के 6 फरवरी के आदेश की आलोचना करती प्रतीत हुई पीठ ने कहा कि आदेश में कहा गया है कि आप दोनों (गुटों) ने पार्टी के संविधान का उल्लंघन किया, आप दोनों 'लक्ष्य और उद्देश्य' के खिलाफ गए और फिर भी किसी को अयोग्य घोषित नहीं किया गया। जरा सोचिए उन मतदाताओं का क्या होगा, जिन्होंने आपको वोट दिया है।
सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति विश्वनाथन ने पाकिस्तान की हालिया स्थिति का जिक्र करते हुए कहा कि कहीं-कहीं मतदाताओं को भी कुछ कहने दें। मैं कोई तुलना नहीं करना चाहता, लेकिन यदि आपने सीमा पार हुए चुनाव पर गौर किया हो तो आप जानते होंगे कि यह सब इसलिए हुआ, क्योंकि कोई 'बल्ला' चुनाव चिह्न चाहता था और वह नहीं दिया गया।
शरद पवार की ओर से पेश वरिष्ठ वकील अभिषेक सिंघवी ने कहा कि आयोग का 7 फरवरी का फैसला 27 फरवरी को राज्यसभा चुनाव होने तक एक अंतरिम व्यवस्था है। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र विधानसभा का सत्र 26 फरवरी से शुरू होने वाला है और 27 फरवरी के बाद हमारे समूह के पास न कोई नाम और न चिन्ह होगा।
सिंघवी ने कहा कि आदेश में कहा गया है कि अजित पवार का समूह असली राकांपा है, हम इसे बाद में चुनौती देंगे। लेकिन राज्यसभा चुनाव के लिए शरद पवार एक बार के लिए नाम (राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी-शरदचंद्र पवार) का इस्तेमाल कर सकते हैं। 27 फरवरी के बाद तकनीकी रूप से हमारे पास न नाम होगा, न चुनाव चिन्ह और हमें अजित पवार के व्हिप का पालन करना होगा। इसके बाद पीठ ने कहा कि वह सदन की कार्यवाही को विनियमित नहीं कर सकती।
सिंघवी ने कहा कि हम इस तरह का कोई निर्देश नहीं चाहते, हम केवल यह निर्देश देने की अपील कर कर रहे हैं कि निर्वाचन आयोग के सात फरवरी के आदेश को आम चुनाव खत्म होने तक जारी रखा जाना चाहिए और पार्टी का चिन्ह दिया जाना चाहिए, क्योंकि इस महीने के अंत तक आगामी चुनावों के लिए पर्चे और बैनर छपने शुरू हो जाएंगे।
शरद पवार ने शीर्ष अदालत में अपनी याचिका पर तत्काल सुनवाई का अनुरोध किया था। उन्होंने महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर के 15 फरवरी के आदेश के मद्देनजर तत्काल सुनवाई की अपील की थी। नार्वेकर ने अजित पवार के नेतृत्व वाले राकांपा के गुट ही असली राकांपा माना था। उन्होंने कहा था कि संविधान में निहित दलबदल रोधी प्रावधानों का इस्तेमाल आंतरिक असंतोष को दबाने के लिए नहीं किया जा सकता। इससे पहले, आयोग ने सात फरवरी को अजित पवार गुट को असली राकांपा मानते हुए उसे पार्टी का चिन्ह 'घड़ी' आवंटित किया था।(भाषा)