सुप्रीम कोर्ट ने अस्पताल कर्मियों की सुरक्षा पर केंद्र सरकार से मांगा जवाब

वेबदुनिया न्यूज डेस्क

शनिवार, 14 सितम्बर 2024 (00:21 IST)
Supreme Court seeks response from Central Government on safety of hospital workers : उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को केंद्र और उत्तराखंड सरकार से उस लड़की की याचिका पर जवाब मांगा, जिसकी मां के साथ कथित तौर पर बलात्कार किया गया और हत्या कर दी गई। याचिका में देशभर में अस्पताल कर्मियों की सुरक्षा पर दिशानिर्देश तैयार करने के लिए निर्देश देने का अनुरोध किया गया है।
 
प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला एवं न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ लड़की की याचिका पर सुनवाई कर रही है। लड़की ने अपने नाना के जरिए न्यायालय का रुख किया था। उसने अपनी मां से कथित बलात्कार और उसकी हत्या के सिलसिले में प्राथमिकी दर्ज करने में उत्तराखंड पुलिस की ओर से देरी और अन्य प्रक्रियागत चूक किए जाने का आरोप लगाया है। उसकी मां राज्य के एक अस्पताल में कार्यरत थी।
ALSO READ: क्‍या जेल में बंद आरोपी दूसरे केस में अग्रिम जमानत का हकदार है, Supreme Court ने दिया यह फैसला...
केंद्र को अस्पताल कर्मियों की मेडिकल योग्यता को ध्यान में रखे बिना उनकी सुरक्षा के लिए दिशानिर्देश तैयार करने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है। याचिका में यह भी अनुरोध किया गया है कि यदि किसी महिला के लापता होने की सूचना मिलती है और उसे उचित समय-सीमा के भीतर नहीं ढूंढा जा सकता है, तो एक केंद्रीकृत अलर्ट जारी करने का आदेश दिया जाए। लड़की ने अपनी मां की मौत और उसके कथित यौन उत्पीड़न की स्वतंत्र जांच की मांग की है।
 
उसकी मां अस्पताल में ओपीडी (बाह्य रोगी विभाग) सहायक के रूप में काम कर रही थी। याचिका के अनुसार, पीड़िता 30 जुलाई की शाम लापता हो गई थी और उसका शव 8 अगस्त को उधम सिंह नगर के रुद्रपुर में उसके अपार्टमेंट के पास मिला था। याचिका में कहा गया है कि पुलिस ने इस मुद्दे को मीडिया द्वारा प्रमुखता से उठाए जाने और लोगों के प्रदर्शन के बाद, गुमशुदगी की रिपोर्ट और प्राथमिकी देरी से दर्ज की। प्राथमिकी 14 अगस्त को दर्ज की गई थी।
ALSO READ: कोर्ट बच्चे को चल संपत्ति नहीं मान सकता, जानिए Supreme Court ने क्‍यों कहा ऐसा
याचिका में कहा गया है कि यौन उत्पीड़न और अन्य अपराधों की पीड़ित महिलाओं के लिए उत्तराखंड मुआवजा योजना 2022 के तहत, नाबालिग मुआवजे की हकदार है और फिर भी उसे या उसके नाना को कोई सहायता नहीं दी गई। याचिका में कहा गया है कि यह स्पष्ट है कि स्थानीय पुलिस द्वारा की गई जांच विश्वसनीय नहीं है और स्वतंत्र जांच की जरूरत है।(भाषा)
Edited By : Chetan Gour

वेबदुनिया पर पढ़ें

सम्बंधित जानकारी