उन्होंने अपने उपन्यास लज्जा में इस्लाम पर की गई टिप्पणी से तस्लीमा ने कट्टरपंथी मुस्लिमों को नाराज कर दिया था, जिसके बाद वे कट्टरपंथी मुस्लिमों के निशाने पर आ गईं और उन्होंने नसरीन की मौत पर इनाम का ऐलान भी कर दिया था। बाद में, तस्लीमा वर्ष 1994 में बांग्लादेश छोड़कर स्वीडन में बस गई।
वह साल 2005 में भारत आ गई, तब से नसरीन यहां निर्वासित जीवन यापन कर रही हैं। कुछ साल पहले वे तब चर्चा में आ गई थीं, जब ढाका में कुछ आतंकियों ने एक रेस्टोरेंट में हमला कर 20 लोगों की हत्या कर दी थी। तब तस्लीमा ने ट्वीट कर कहा था कि 'इस्लाम को शांति का धर्म कहना बंद कीजिए' और उन्होंने एक अन्य ट्वीट में कहा था 'आपको इस्लामिक आतंकवादी बनने के लिए गरीबी, अज्ञानता, अमेरिका की विदेश नीति, इसराइल की साजिश नहीं चाहिए, बस आपको इस्लाम चाहिए।'