‘भारतीय मुस्लिम महिला संगठन’ और दूसरे महिला अधिकार समूह यह फैसला आने के बाद से कानून बनाए जाने की मांग करते रहे हैं। सरकार से जुड़े सूत्रों ने बताया कि उच्चतम न्यायालय के आदेश को प्रभावी बनाने के क्रम में सरकार इस मामले को आगे बढ़ा रही है और एक उचित विधेयक लाने अथवा मौजूदा दंड प्रावधानों में संशोधन करने पर विचार कर रही है जिससे एक बार में तीन तलाक कहना अपराध माना जाएगा। सूत्रों ने कहा कि विधेयक तैयार करने के लिए मंत्रीस्तरीय समिति का गठन किया गया है और इस संबंध में संसद के शीतकालीन सत्र में विधेयक लाने की तैयारी है।
मुस्लिम महिला अधिकार समूहों का कहना रहा है कि शीर्ष अदालत के फैसले के बाद भी तलाक-ए-बिद्दत की पीड़ित महिलाओं को व्यावहारिक दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। तलाक होने के बाद महिलाओं के पास एकमात्र रास्ता पुलिस से संपर्क करने का है और कोई स्पष्ट कानूनी प्रावधान नहीं होने पर उन्हें न्याय मिलना मुश्किल है। (भाषा)